नई दिल्ली : देश के स्वास्थ्य क्षेत्र विशेषज्ञों द्वारा एक प्रस्ताव के माध्यम से केंद्र सरकार से अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों पर चेतावनी लेबल अनिवार्य करने की अपील हुई है. चिकित्सकों ने हाल के एक शोध का हवाला देते हुए कहा कि अति प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ (यूपीएफ) और पेय पदार्थों के अधिक सेवन से कैंसर, हृदय रोग सहित यकृत और विभिन्न घातक बीमारियों का खतरा है. ये पदार्थ अधिक वजन और मोटापा का भी प्रमुख कारक होते हैं.
विशेषज्ञों ने केंद्र सरकार से इस आवेदन पर तत्काल विचार करने का आह्वान किया है. अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों जैसे चीनी, नमक या संतृप्त वसा में उच्च खाद्य उत्पादों पर अनिवार्य चेतावनी लेबल होना चाहिए. विशेषज्ञों ने कहा कि स्वास्थ्य का अधिकार हर इंसान का मौलिक अधिकार है.
युवाओं का स्वास्थ्य राष्ट्र की संपत्ति है. इसलिए भारतीय संदर्भ में राज्यों को नियामक उपायों को अपनाने की आवश्यकता है. जैसे कि खाद्य और पेय पदार्थों पर अत्यधिक मात्रा में महत्वपूर्ण पोषक तत्वों वाले पैकेज के सामने चेतावनी लेबलिंग होनी चाहिए. जिससे मोटापा और एनसीडी के बढ़ते बोझ से निपटा जा सके.
इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (आईएपीएसएम) की अध्यक्ष डॉ सुनीला गर्ग ने कहा कि भारत में 21 राज्यों में 233672 लोगों और 676 सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यालयों को कवर करते हुए इस तरह की बीमारी पर किए गए एक हालिया सर्वेक्षण में कहा गया है कि एनसीडी का बोझ लंबे समय तक बना रहता है क्योंकि देश की 65 प्रतिशत आबादी 35 साल से कम उम्र की है.
इसमें कहा गया है कि बदलती जीवनशैली, शहरीकरण, प्रदूषण और बढ़ती उम्र की आबादी हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, कैंसर सहित अन्य बीमारियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. पीडियाट्रिक एंड एडोलसेंट न्यूट्रिशन सोसाइटी (PAN)- IAP न्यूट्रीशन चैप्टर और एपिडेमियोलॉजी फाउंडेशन ऑफ इंडिया (EFI) के विशेषज्ञों ने बताया कि खाद्य उद्योग निहित स्वार्थ के कारण चेतावनी लेबल दिशा-निर्देशों में देरी करते हैं.