नई दिल्ली: वैश्विक तापमान में लगातार वृद्धि न सिर्फ भारत को गंभीर सूखे के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकती है, बल्कि दुनियाभर के लोगों और परिस्थितिकी तंत्र के लिए बड़ा खतरा (India may be more vulnerable to drought) भी पैदा कर सकती है. ब्रिटेन स्थित ईस्ट एंगलिया विश्वविद्यालय (यूईए) (University of East Anglia) के हालिया अनुसंधान में इस बात का दावा किया गया है. अनुसंधानकर्ताओं ने पाया है कि तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की मामूली वृद्धि से भी भारत, चीन, इथोपिया, घाना, ब्राजील और मिस्र जैसे देशों के लिए गंभीर नतीजे होंगे.
यह अनुसंधान ‘जर्नल क्लाइमैटिक चेंज’ (Journal Climatic Change) के हालिया अंक में प्रकाशित किया गया है. इसमें छह देशों में गंभीर सूखे की आशंका और उसकी संभावित अवधि पर जलवायु परिवर्तन के वैकल्पिक स्तरों के अनुमानित प्रभावों का आकलन किया गया है. संयुक्त अरब अमीरात (यूईए) में जैव विविधता और जलवायु परिवर्तन विषय के एसोसिएट प्रोफेसर जेफ प्राइस कहते हैं कि “जलवायु परिवर्तन से निपटने की मौजूदा प्रतिबद्धताएं, अनुसंधान में शामिल सभी देशों को प्रभावित करेंगी. इन प्रतिबद्धताओं पर अमल के बावजूद ग्लोबल वॉर्मिंग (Global Warming) का स्तर तीन डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक रहने के आसार हैं.”
उन्होंने एक बयान जारी कर कहा कि “मिसाल के तौर पर, तापमान में तीन डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से इनमें से प्रत्येक देशों की 50 फीसदी से अधिक कृषि भूमि को अगले 30 वर्षों में गंभीर सूखे का सामना करना पड़ सकता है, जो एक साल से अधिक समय तक बना रहेगा.” मानक जनसंख्या अनुमान का इस्तेमाल कर अनुसंधानकर्ताओं ने आकलन किया है कि इस सूखे की चपेट में ब्राजील, चीन, मिस्र, इथोपिया और घाना की 80 से 100 फीसदी आबादी आ सकती है.
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