बीजिंग : पहली बार किसी चीनी को पद्म भूषण पुरस्कार मिला है. महान विद्वान ची श्यानलिन को यह पुरस्कार दिया गया है. उन्होंने चीन वापस लौटने के बाद वर्ष 1946 में उन्होंने पेकिंग विश्वविद्यालय में पूर्वी भाषा विभाग की स्थापना की. इससे उन्होंने प्रोफेसर चिन केमू के साथ भारतीय अध्ययन पर शिक्षण और अनुसंधान कार्य किया. साहित्यिक जगत में भारतीय महान कवि रविंद्रनाथ टैगोर और चीनी विद्वान ची श्यानलिन दोनों के नाम सबसे आगे आते हैं. वर्ष 2008 में ची श्यानलिन को भारतीय अध्यन में योगदान की वजह से पद्म भूषण पुरस्कार भी दिया गया.
यह पहली बार है कि किसी चीनी को पद्म भूषण पुरस्कार मिला है. चीन की यात्रा करते समय भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भाषण दिया और ची श्यानलिन के शब्दों से उद्धृत किया कि चीन और भारत दोनों सांस्कृतिक जगत एक दूसरे से शिक्षा और प्रभाव करते हैं. साथ ही वे आपसी संस्कृति के विकास को बढ़ावा देते हैं. यह इतिहास और वास्तविकता है. उन्होंने ची श्यानलिन को चीन के महान विद्वान और सबसे प्रसिद्ध समकालीन भारतीय विद्वान के रूप में भी वर्णित किया.
अपने जीवनभर में प्रकाशित कार्यों को 'ची श्यानलिन का कार्य संग्रह' के रूप में संग्रह किया गया. इस कार्य संग्रह में 24 खंड शामिल हैं. इन 24 खंडों में कार्य संग्रह में से अधिकांश भारत से संबंधित अध्ययन हैं. ची श्यानलिन द्वारा किये गये अध्ययन से चीनी लोग भारत और भारत की सभ्यता व संस्कृति में और ज्यादा अच्छे से आ सकते हैं.
ची श्यानलिन एक उत्कृष्ट शिक्षक भी थे. वर्ष 1936 से उन्होंने पेकिंग विश्वविद्यलय में चीन-भारत संबंध के इतिहास, बौद्ध धर्म का इतिहास और भारतीय अध्ययन समेत अधिक पाठ्यक्रम सिखाये थे. उनके छात्र में से अधिक लोग संबंधित क्षेत्रों में विशेषज्ञ भी बने हैं.