हैदराबाद : भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमना (Chief Justice of Supreme Court NV Ramana) ने शनिवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता समझौते में शामिल होने वाले भारतीय पक्ष अक्सर देश के बाहर एक मध्यस्थता केंद्र का विकल्प चुनते हैं, जिसके कारण उन्हें बहुत अधिक खर्चों का बोझ उठाना पड़ता है, लेकिन यहां अंतरराष्ट्रीय पंचाट एवं मध्यस्थता केंद्र (IAMC) की स्थापना से चलन बदल जाएगा. वह शहर में आईएएमसी के पूर्वावलोकन (कर्टेन रेज़र) और हितधारक सम्मेलन में बोल रहे थे.
उन्होंने कहा, 'भारत में कुछ मध्यस्थता केंद्रों की मौजूदगी के बावजूद, वाणिज्यिक मध्यस्थता समझौतों में प्रवेश करने वाले भारतीय पक्ष अक्सर भारत के बाहर एक मध्यस्थता केंद्र का विकल्प चुनते हैं, जिस पर उनका बहुत अधिक खर्च होता है.' उन्होंने कहा कि हैदराबाद में आईएएमसी की स्थापना के बाद भारत में यह चलन बदल जाएगा.
उन्होंने कहा कि विवाद हल करने के लिए अदालतों में जाने के विकल्प का इस्तेमाल मध्यस्थता जैसी वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) व्यवस्थाओं को टटोलने के बाद ही अंतिम उपाय’के तौर पर किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि अलग-अलग क्षमताओं से 40 वर्षों से अधिक के अपने कानूनी पेशे के अनुभव के बाद मेरी सलाह है कि आपको अदालतों में जाने का विकल्प अंतिम उपाय के तौर पर रखना चाहिए. मध्यस्थता और सुलह के एडीआर विकल्पों पर गौर करने के बाद ही इस अंतिम उपाय का इस्तेमाल कीजिए.
अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र पेरिस, सिंगापुर, हांगकांग, लंदन, न्यूयार्क और स्टॉकहोम जैसे ज्यादातर वाणिज्यिक केंद्रों में स्थित हैं. हैदराबाद में आईएएमसी की स्थापना उत्कृष्ट बुनियादी ढांचा के साथ होगी और यहां अंतरराष्ट्रीय ख्यातिलब्ध आर्बिट्रेटर और मध्यस्थकार पैनल में शामिल होंगे. न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि इस केंद्र पर बेहतर कामकाज सुनिश्चित करने और नियमों का मसौदा तैयार करने के लिए दुनिया भर से सर्वोत्तम प्रथाओं को ध्यान में रखा जा रहा है.