नई दिल्ली : केंद्रीय सुरक्षा प्रतिष्ठान ने आतंकवाद रोधी ग्रिड में तैनात सीमा बलों (Border Forces) और शस्त्र पुलिस इकाइयों (Police Units) को तालिबान जैसे खतरे से निपटने के लिए नया प्रशिक्षण पाठ्यक्रम तैयार करने और लागू करने को कहा गया है. ताकि अफगानिस्तान पर इस्लामिक मिलिशिया के कब्जे के बाद उत्पन्न स्थिति से निपटा जा सके. निर्देश में पिछले महीने काबुल पर तालिबान (Taliban) के कब्जे का उल्लेख करते हुए कहा गया कि इससे भारत के सुरक्षा हालात पर गंभीर असर हो सकते हैं. इसमें जमीनी बलों और उनके खुफिया तंत्र से कहा गया है कि वे अपनी रणनीति और युद्ध कौशल को अद्यतन करें और मध्य एवं दक्षिण एशिया (Middle and South Asia) में पैदा भू-राजनीतिक स्थिति (geopolitical situation) एवं उसके भारत की सीमा और उसके अंदरुनी हिस्सों पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव से लड़ने के लिए पाठ्यक्रम तैयार करें.
कुछ दिन पहले सुरक्षा प्रतिष्ठान द्वारा जारी निर्देश में ऐसे परिदृश्य की आशंका जताई गई है, जिसमें पश्चिम में पाकिस्तान से लगती सीमा से घुसपैठ की कोशिश और पूर्वी सीमा पर खुली सीमा से विदेशी लड़ाकों सहित आतंकवादियों के गैर कानूनी प्रवेश की कोशिश बढ़ सकती है. केंद्रीय सुरक्षा बलों और खुफिया इकाइयों में तैनात अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि पिछले महीने अफगानिस्तान के सभी सूबों पर तालिबान के कब्जे, वर्ष 2001 के 9/11 आतंकवादी हमले के 20 साल बाद अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी से पड़ोस में नए घटनाक्रम हो रहे हैं.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मौजूदा समय में सीमा सुरक्षा बल (BSF), सशस्त्र सीमा बल (SSB) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) तथा जम्मू-कश्मीर पुलिस आदि के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में सीमा प्रबंधन की बदलती स्थितियां को शामिल किया गया है.
अधिकारी ने बताया कि इसमें तालिबान से जुड़ी जानकारी भी शामिल की गई है, लेकिन इसे अद्यतन नहीं किया गया है. इसमें खुले स्रोत से मिलने वाली प्रमाणिक जानकारी और गोपनीय तरीके से हमें मिली जानकारी को शामिल किया जा रहा है और 9/11 के हमले के बाद गत 20 साल में हुए घटनाक्रम पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि तालिबान को लेकर पूर्ण प्रशिक्षण, खुफिया और युद्ध कौशल, उसके नेतृत्व और काम करने के तरीके को लेकर पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है. इसके साथ ही उस देश में हो रही घटनाओं और क्षेत्र की गतिविधियों का भी अध्ययन किया जा रहा है.