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Published : Jul 12, 2022, 7:09 PM IST

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55 साल पुराने शिव मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए आगे आए सभी धर्मों के लोग

कोलकाता में सभी धर्मों के लोगों ने मिसाल पेश की है. यहां 55 साल पुराने शिव मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए सभी धर्मों के लोग आगे आए हैं. मंदिर के लिए 25 लाख रुपये जुटाए हैं.

renovate Shiva temple
शिव मंदिर जीर्णोद्धार

कोलकाता : महात्मा गांधी ने कहा था, 'मानवता एक सागर की तरह है, अगर समुद्र की कुछ बूंदे गंदी हो जाएं तो समुद्र गंदा नहीं होता.' इसे कोलकाता में ताला पार्क के लोगों ने सच कर दिखाया है. हिंदू, मुस्लिम, बौद्ध सभी समुदायों के लोग 55 साल पुराने शिव मंदिर का जीर्णोद्धार कराने को आगे आए.

इस शिव मंदिर में हर सोमवार को प्रसाद बांटा जाता है. मोहल्ले के सभी समुदायों के लोग इसे पूरे सम्मान के साथ स्वीकार करते हैं. विभिन्न समुदायों के लोग अपना काम पूरा करने के बाद यहां आते हैं. उनके बीच तरह-तरह की चर्चाएं होती हैं. इसके अलावा, मंदिर समिति में समाज के हर वर्ग के विभिन्न समुदायों के लोग शामिल हैं.

मंदिर में पूजन

कोलकाता के ताला पार्क में 55 साल पुराने शिव मंदिर के जीर्णोंद्धार के लिए लगभग 25 लाख रुपये की जरूरत थी. यह फंड आफताब खान, फिरोज, अमृत लिंब और बिनॉय पाठक ने जुटाया. क्षेत्र के सभी धर्मों के लोगों में सौहार्द रहा है और उन्होंने मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए मिलकर काम किया.

बीते सोमवार की शाम को देखा गया कि आफताब खान, बीके पाठक और अमित लिम्ब मंदिर परिसर में हड़बड़ी में हैं और मरम्मत का खर्चा आंक रहे हैं. कुछ देर बाद आफताब खान और बाकी लोगों ने खाना बांटना शुरू किया. स्थानीय बच्चों से लेकर बड़ों तक - हर कोई इसका लुत्फ उठा रहा था. ऐसे समय में जब देश में धर्म के नाम पर अशांति फैल रही है, ताला पार्क के पास इंद्र विश्वास रोड पर शिव शक्ति समिति धार्मिक सद्भाव का एक उपयुक्त उदाहरण बन गई है.

शिव शक्ति समिति के उपाध्यक्ष आफताब खान ने कहा, 'शिव मंदिर 55 साल पुराना है. साइड रोड के नवीनीकरण के बाद मंदिर अपेक्षाकृत कम हो गया है. मंदिर की सुंदरता भी खो रही है इसलिए हमने पुनर्निर्मित करने के लिए योजना बनाई, लेकिन इस काम के लिए बहुत सारे पैसे की जरूरत थी. अपने घर से भुगतान करने के अलावा, पड़ोस में सभी से मदद मांगी गई, सभी इसके लिए आगे आए हैं.'

'हम साथ थे, हम साथ रहेंगे' :मंदिर समिति के सहायक सचिव बीके पाठक ने कहा, 'मंदिर के विभिन्न कार्यक्रमों के लिए एक या दो हजार रुपये जुटाना भी मुश्किल था, लेकिन जब लोगों ने मंदिर के जीर्णोद्धार के बारे में सुना तो आश्चर्यजनक रूप से सभी लोग एक साथ आए. हम साथ थे, हम साथ रहेंगे.'

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