चंडीगढ़ :शादी के साथ रहना कोई अपराध नहीं है. लिव-इन रिलेशनशिप अवैध नहीं है. हर किसी को अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार है. चुने हुए जीवनसाथी की जांच करना अदालत का काम नहीं है. ऐसे में अगर उन्हें सुरक्षा देने से इनकार किया जाता है और दंपती ऑनर किलिंग का शिकार होता है तो यह न्याय का मजाक होगा.
यह तल्ख टिप्पणी पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे एक प्रेमी जोड़े की सुरक्षा याचिका पर सुनवाई के दौरान की. साथ ही उच्च न्यायालय ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही महिला भी गुजारा भत्ता की पात्र है.
बठिंडा के प्रेमी जोड़े ने लगाई है सुरक्षा की गुहार
मामला बठिंडा का है जहां एक प्रेमी जोड़े ने लिव-इन रिलेशनशिप में सुरक्षा की मांग करते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. लड़की की उम्र 17 साल तीन महीने और लड़के की उम्र 20 साल है. पंजाब सरकार ने सुरक्षा याचिका का विरोध किया और कहा कि कई पीठों ने सहमति से संबंध के मामले में सुरक्षा से इनकार किया था.
याचिकाकर्ताओं ने ये दी दलील
लड़की के अभिभावक उसकी शादी कहीं और कराना चाहते थे, क्योंकि उन्हें दोनों के संबंधों का पता चल गया था. लड़की अपने अभिभावक के घर से निकल गई और अपने जीवनसाथी के साथ रहने लगी. विवाह योग्य उम्र नहीं होने के कारण उन्होंने शादी नहीं की. जोड़े ने बताया कि उन्होंने बठिंडा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से सुरक्षा प्रदान करने का अनुरोध किया लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. इस संबंध में पंजाब के सहायक महाधिवक्ता ने अदालत को सूचित किया कि जोड़े की शादी नहीं हुई है और वे लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं.
हाई कोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी
हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि लिव-इन रिलेशनशिप सभी को स्वीकार्य नहीं है और न ही यह अवैध है. हमारे देश में बिना शादी के साथ रहना कोई अपराध नहीं है. संसद ने भी सहमति से रिश्ते में रहने वाली महिलाओं और उनके बच्चों की रक्षा की है.
हाईकोर्ट ने कहा कि देश के उत्तरी हिस्से में, खासकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और यूपी में ऑनर किलिंग की संख्या बढ़ी है. यदि कोई विवाहित नहीं है और न्यायालय इस आधार पर किसी को सुरक्षा प्रदान करने से इनकार करता है तो देश के नागरिक संविधान के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार को सुनिश्चित करने की अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने में विफल रहेंगे.
सुरक्षा मुहैया कराने का दिया आदेश
हाई कोर्ट ने कहा कि अगर वे बिना शादी के ही साथ रहना चाहते हैं तो यह उनकी मर्जी, इस फैसले का मूल्यांकन करना अदालत का काम नहीं है. इन आदेशों के साथ ही हाईकोर्ट ने एसएसपी बठिंडा को इस मामले में सुरक्षा के लिए दायर रिट याचिका पर फैसला लेने और जरूरत पड़ने पर सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया.
क्या है लिव-इन रिलेशनशिप
लिव इन संबंध या लिव इन रिलेशनशिप ऐसा व्यवस्था है जिसमें दो लोग जिनका विवाह नहीं हुआ है, साथ रहते हैं. वह पति-पत्नी की तरह शारीरिक संबंध बनाते हैं. यह संबंध लंबे समय तक चल सकते हैं या फिर स्थाई भी हो सकते हैं.
पढ़ें- लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने के फैसले का मूल्यांकन करना अदालत का काम नहीं : उच्च न्यायालय
इस तरह के संबंध विशेष रूप से पश्चिमी देशों में बहुत आम हैं. भारत में भी शीर्ष न्यायालय ने लिव इन संबंधों के समर्थन में कहा है कि यदि दो लोग लंबे समय से एक दूसरे के साथ रह रहे हैं और उनमें संबंध हैं तो उन्हें शादीशुदा ही माना जाएगा.