नैनीताल :उत्तराखंड हाई कोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार की खिंचाई करते हुए उसे चारधाम यात्रा के संबंध में कुंभ की तरह ढिलाई न बरतने की सख्त हिदायत दी. एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को चारधाम यात्रा के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure) बनाकर उसे 21 जून तक अदालत में दाखिल करने का निर्देश दिया है.
साथ ही हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रघुवेंद्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने 23 जून को मामले की सुनवाई की अगली तारीख पर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव और अपर पर्यटन सचिव को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अदालत में पेश होने को कहा है.
अदालत में पेश हुए पर्यटन सचिव दिलीप जावलकार द्वारा चारधाम के संबंध में दाखिल हलफनामे से असंतुष्ट खंडपीठ ने कहा कि सरकार ने केवल यह बताया है कि चारधाम यात्रा 22 जून तक के लिए प्रतिबंधित है लेकिन इसमें कोई स्पष्टता नहीं है कि उसके बाद चरणबद्ध तरीके से चारधाम यात्रा शुरू होगी या नहीं?
खंडपीठ ने कहा कि आखिरी क्षण में निर्णय लेने के दुष्परिणाम होते हैं और कुंभ के दौरान भी अंत समय में अधिसूचना जारी होने के कारण व्यवस्था के अनुपालन में कठिनाई आई थी.
अदालत ने कहा कि नीतिगत निर्णय लेना सरकार का काम है और अगर सरकार चारधाम यात्रा चरणबद्ध तरीके से शुरू करना चाहती है तो उसके लिए एसओपी और यात्रियों और स्थानीय निवासियों की सुरक्षा के लिए मेडिकल सुविधाएं होनी चाहिए. अदालत ने कहा कि इन व्यवस्थाओं पर समय से निर्णय होना चाहिए.