नई दिल्ली : पेगासस जासूसी मामले से जुड़ी नौ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई, जिसमें सीजेआई एन वी रमन्ना ने कहा कि अदालत में याचिकाकर्ताओं को बहस के लिए अपनी सीमा पार नहीं करनी चाहिए. इसके साथ ही न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई सोमवार तक टाल दी है. अब इस मामले से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई 16 अगस्त को होगी.
इस मामले में पत्रकारों, वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की तरफ से अर्जियां दायर कर एसआईटी जांच की मांग की गई है.
किसी को भी सीमा लांघनी नहीं चाहिए : सीजेआई
सुप्रीम कोर्ट में आज पेगासस मामले की सुनवाई करते हुए सीजेआई एन वी रमन्ना ने कहा कि मामवला विचाराधीन है, इसमें याचिकाकर्ताओं के बीच समानांतर बहस होनी चाहिए.
अदालत में याचिकाकर्ता और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि अनुशासन का होना भी जरूरी है. बहस के लिए किसी को भी अपनी सीमा पार नहीं करनी चाहिए. व्यवस्था पर विश्वास रखें.
उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं को जो कुछ भी कहना है वे हलफनामे में कह सकते हैं.
उन्होंने कपिल सिब्बल की खिंचाई करते हुए कहा कि वे उनका सम्मान करते हैं और वे मंत्री भी रह चुके हैं. इस हिसा से उन्हें भी अदालत में अनुशासन बनाए रखना चाहिए.
बता दें कि इससे पहले की सुनवाई में अदालत ने कहा था कि चूंकि बहुत सारी याचिकाएं हैं, उनमें से कुछ जनहित याचिका इसी तरह की हैं. ऐसे में अदालत को आगे बढ़ने से पहले केंद्र सरकार का पक्ष सुनना होगा. हालांकि, कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करने से परहेज किया था. इसके बजाय पार्टियों को सरकार को याचिकाओं की प्रतियां देने के लिए कहा था.
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दरअसल कथित पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकारों द्वारा दायर याचिकाओं सहित नौ याचिकाओं पर फिलहाल सुनवाई चल रही है.
ये याचिकाएं इजराइली कंपनी एनएसओ के स्पाईवेयर पेगासस का उपयोग करके प्रमुख नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों पर सरकारी एजेंसियों द्वारा कथित तौर पर जासूसी की रिपोर्ट से संबंधित हैं.
एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने बताया है कि 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबर पेगासस स्पाईवेयर का उपयोग करके निगरानी के संभावित लक्ष्यों की सूची में थे.