नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) के समक्ष लंबित नाबालिगों से जुड़े मामूली आरोपों वाले सभी मामलों को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने के उसके आदेश के पालन के लिए कोई कदम नहीं उठाने पर दिल्ली सरकार को मंगलवार को लताड़ लगाई.
हाई कोर्ट ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश ने उस निर्देश का भी पालन नहीं किया है जिसमें उसे अदालत को ऐसे मामलों की संख्या बताने को कहा गया था जिनकी जांच किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष छह माह से लेकर एक वर्ष की अवधि से लंबित हैं. इसके अलावा जांच की तारीख और प्रत्येक मामले में पहली पेशी के बारे में जानकारी देने का भी निर्देश दिया गया था.
'इंतजार नहीं कराया जा सकता'
जब अदालत को यह बताया गया कि सरकार इंतजार कर रही है क्योंकि नियमों में कुछ संशोधन हो रहे हैं और किशोरों को बोर्ड के समक्ष पेश करने के लिए दस दिन का और वक्त चाहिए, तो इस पर न्यायाधीश सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने कहा, 'बच्चे इंतजार नहीं कर सकते. किशोर इंतजार नहीं कर सकते. आपको जितना वक्त चाहिए आप ले सकते हैं,लेकिन बच्चों को इंतजार नहीं कराया जा सकता.'
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने अदालत को एक चार्ट दिखाया जिनमें 409 किशोरों का अंतर था, इनमें जेजेबी के समक्ष पेश किशोर और रिहा किए गए किशोर शामिल हैं. इस पर अदालत ने कहा, 'ये 409 किशोर कहां हैं? ये कहां गायब हो गए. ये 409 (नाबालिग) तंत्र में कहीं खो जाएंगे. क्या हो रहा है? इन 409 का क्या हुआ और ये कहा हैं?
पीठ ने आगे कहा कि सरकार का आचरण संतोषजनक नहीं है और अदालत का 29 सितंबर का फैसला जिसमें कहा गया कि किसी भी बच्चे के जेजे अधिनियम के तहत किसी मामले में आने पर उसे 24 घंटे के अंदर जेजेबी के समक्ष पेश किया जाना, पूरी तरह से स्पष्ट है और इसमें कहीं कोई अस्पष्टता नहीं है.