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गवर्नर को हटाना नगा शांति प्रक्रिया जारी रखने की कवायद

आरएन रवि के नगालैंड के गवर्नर पद से स्थानांतरण ने 24 साल पुरानी नगा शांति प्रक्रिया को गति दी है, हालांकि सरकार के इस फैसले के पीछे मणिपुर के विधानसभा चुनाव को भी ध्यान में रखा गया है. पढ़िए वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

आरएन रवि
आरएन रवि

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Published : Sep 10, 2021, 6:48 PM IST

नई दिल्ली :नगालैंड के राज्यपाल आरएन रवि ( Nagaland Governor RN Ravi) को गुरुवार रात कोहिमा के राजभवन (Kohima’s Raj Bhavan) से चेन्नई में स्थानांतरित करने की घोषणा की गई. यह फैसला नगालैंड और मणिपुर (Nagaland and Manipur) दोनों के लिए निहितार्थ से भरा है.

इस कदम से सरकार नगा शांति वार्ता प्रक्रिया (Naga peace talks process) को गतिरोध की स्थिति से उबारने के संकेत दे रही है.

दरअसल, नगा विद्रोही नेतृत्व, मुख्य रूप से थुइंगलेंग मुइवा (Thuingaleng Muivah) के नेतृत्व वाला एनएससीएन (आईएम) वर्तमान गतिरोध के लिए राज्यपाल रवि को दोषी ठहराता रहा है और इसलिए उन्हें नगालैंड के राज्यपाल (Nagaland Governor) के पद से हटाने की मांग कर रहा था.रवि को हटाना इस प्रक्रिया को शुरू करने की सरकार की उत्सुकता का परिणाम हो सकती है.

इस कदम को तंगकुल नागाओं को शांत करने के कदम के रूप में भी देखा जा सकता है, जो NSCN (IM) के रैंक और मणिपुर के पहाड़ी जिलों (hill districts of Manipur) से आते हैं.

नगा मुद्दे के समाधान का मार्ग प्रशस्त करने के अलावा सरकार की नजर मणिपुर राज्य विधानसभा चुनावों (Manipur state assembly elections ) पर भी हो सकती है, जो सात महीने बाद मार्च 2022 में होने वाले हैं.

मणिपुर में पांच पहाड़ी जिले सेनापति, तामेंगलोंग, उखरूल, चंदेल और चुराचंदपुर- है, जिनमें से पहले तीन में नागा जनसांख्यिकी रूप से महत्वपूर्ण हैं.

मणिपुर में नगाओं के पास मणिपुर की 60 सीटों में से कम से कम 11 विधानसभा क्षेत्रों में परिणाम तय करने की क्षमता है. 2017 के राज्य चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा को 21 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस ने 28 सीटों पर जीत हासिल की थी और राज्य में सबसे बड़ी एकल पार्टी के रूप समाने आई थी.

जाहिर है नई दिल्ली में केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के साथ नागाओं का असंतोष मणिपुर में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार से नाखुश हो सकता है जो अब तक कांग्रेस के खिलाफ नाजुक रूप से संतुलित है.

दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) के विश्लेषक प्रो कुमार संजय सिंह (Prof Kumar Sanjay Singh) कहते हैं कि गवर्नर रवि अपनी नीति में विफल रहे, जहां उन्होंने NSCN (IM) को अल्टीमेटम देकर डोटेड लाइन पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर करने का प्रयास किया.

लेकिन यह किसी भी तरह से रवि की अवनति नहीं है. उनके दृष्टिकोण की सामरिक रेखा का अभी भी अनुसरण किया जा रहा है क्योंकि हाल ही में सरकार ने एनएससीएन के निक्की सुमी गुट (Nikki Sumi faction ) के साथ समानांतर बातचीत शुरू की है. इसके अलावा रवि को एक बहुत ही महत्वपूर्ण राज्य का राज्यपाल नियुक्त किया गया है, जहां भाजपा जड़ें जमाना चाहती है, जबकि नगा विद्रोहियों की नागाओं के लिए एक अलग स्वतंत्र और संप्रभु मातृभूमि (separate independent and sovereign homeland) की मांग पिछले कुछ वर्षों में काफी हद तक कम हो गई थी, वे एक अलग संविधान और नागा ध्वज (separate constitution and a Naga flag) की मांगों पर अडिग रहे थे और केंद्र सरकार इसके विरोध में दृढ़ रही थी.

अगस्त 2019 में नागालैंड के राज्यपाल के रूप में नियुक्त होने से पहले ही रवि वार्ता के लिए सरकार के वार्ताकार थे. राज्यपाल के रूप में उनका जनादेश स्पष्ट लग रहा था - NSCN (IM) के साथ ब्रिंकमैनशिप की नीति (policy of brinkmanship) को आगे बढ़ाने के लिए और शामिल करने की कोशिश की.

6 जून 2020 को राज्यपाल रवि ने नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो (Nagaland Chief Minister Neiphiu Rio) को लिखे एक पत्र में विद्रोही समूहों को बड़े पैमाने पर जबरन वसूली और अवैध गतिविधि चलाने वाले 'सशस्त्र गिरोह' करार दिया.

उन्होंने लिखा था कि राज्य में स्थिति गंभीर है. कानून और व्यवस्था (law and order) ध्वस्त हो गई है, संवैधानिक रूप से स्थापित राज्य सरकार को सशस्त्र गिरोहों द्वारा दिन-प्रतिदिन चुनौती दी जा रही है, जो राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता पर सवाल उठाते हैं, जबकि कानून और व्यवस्था के साधन पूरी तरह से अनुत्तरदायी हैं.

इसने विद्रोही समूहों, मुख्य रूप से एनएससीएन (आईएम) को कोई नाराज कर दिया.

पढ़ें - इंडो-नगा शांति वार्ता : क्रिसमस से पहले समाप्त होगी वार्ता, राज्यपाल आरएन रवि से उम्मीदें

7 जुलाई 2020 को राज्य सरकार ने अपने सभी कर्मचारियों को एक महीने के भीतर एक घोषणा प्रस्तुत करने का आदेश दिया, जिसमें परिवार के किसी भी सदस्य या रिश्तेदारों की जानकारी और विवरण मांगा कि किस परिवार के लोग 'भूमिगत' संगठनों से जुड़े हैं.

इस आदेश में व्यक्ति का नाम, 'भूमिगत' संगठन, कर्मचारी के उस व्यक्ति के साथ संबंध की प्रकृति और 'भूमिगत' पदानुक्रम के भीतर उस व्यक्ति द्वारा धारित पद या रैंक सहित जानकारी मांगी गई.

इन आदेशों 11 जुलाई 2020 को अरुणाचल के लोंगडिंग जिले के न्यिनु गांव के पास भारतीय सेना, असम राइफल्स और अरुणाचल प्रदेश पुलिस कर्मियों की एक संयुक्त टीम द्वारा मुठभेड़ में एनएससीएन (आईएम) के छह कार्यकर्ता मारे गए.

अगले दिन एनएससीएन-आईएम ने अपने 12 जुलाई के बयान में कहाकि एनएससीएन-आईएम को बार-बार उकसाने और आक्रामकता के बाद दीवार पर खदेड़ा जा रहा है. युद्धविराम ने अपना अर्थ खो दिया है, क्योंकि युद्धविराम केवल वही समझ सकता है जहां परस्पर सम्मान हो.

रवि के बाहर निकलने के साथ, एनएससीएन-आईएम वार्ता की प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की उम्मीद कर सकता है.

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