नई दिल्ली :ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि डिजिटल इंडिया भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) में काफी प्रगति हुई है. बुनियादी जरूरतों से जुड़े लक्ष्यों को हासिल किया गया है. लेकिन राज्य अभी तक इस कार्यक्रम के सभी कारकों को 100 प्रतिशत पूरा नहीं कर पाए हैं.
गौरतलब है कि डिजिटल इंडिया भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) को 21 अगस्त 2008 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली थी. एक अप्रैल 2016 को इसे केंद्रीय सेक्टर योजना के रूप में स्वीकृति मिली जिसमें केंद्र से 100 प्रतिशत वित्त पोषण का प्रावधान किया गया. इसका मकसद देशभर में विभिन्न राज्यों में भूमि अभिलेखों को जोड़ते हुए उपयुक्त एकीकृत भूमि सूचना प्रबंधन प्रणाली (आईएलआईएमएस) स्थापित करना है.
उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम को मार्च 2021 पूरा होना था लेकिन अब इसे वर्ष 2023-24 तक विस्तार दिया गया है. ताकि चालू कार्यों सहित इसकी नई कार्य योजना को अगले तीन वर्षों में पूरा किया जा सके. अधिकारी ने बताया कि इस कार्यक्रम में संपत्ति और दस्तावेजों के पंजीकरण के लिए एक राष्ट्र, एक साफ्टवेयर योजना के तहत 10 राज्यों में राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली (एनजीडीआरएस) लागू की जा रही है. इसके अलावा साल 2021-22 तक विशिष्ठ भूमि पार्सल पहचान संख्या (यूएलपीआईएन) लागू की जाएगी.
एनजीडीआरएस प्रणाली को 10 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली, गोवा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, झारखंड, महाराष्ट्र, मणिपुर, मिजोरम और पंजाब में लागू किया गया है. उन्होंने बताया कि विशिष्ठ भूमि पार्सल पहचान संख्या के जरिए आधार संख्या को भूमि अभिलेख के साथ जोड़ा जाएगा. साथ ही भूमि अभिलेख को राजस्व अदालत प्रबंधन प्रणाली से भी जोड़ने का कार्यक्रम है.