आसनसोल : एक कमरे में कुछ बेंच, एक मेज है. लंबे समय तक उपयोग में नहीं आने के कारण ब्लैक बोर्ड भी खराब हो चुके हैं. टूटी खिड़की से ठंडी हवा और बारिश का पानी कमरे में आ जाता है. कभी बिजली थी, आज नहीं है. मिड डे मील के लिए दूसरे स्कूल जाना पड़ रहा है. हालांकि स्कूल की पंजिका में कुल 11 छात्र-छात्राओं का नाम है. लेकिन इनमें कभी पांच तो कभी तीन छात्र उपस्थित रहते थे. यह हाल है हिंदी माध्यम दुर्गा प्राथमिक विद्यालय, नूरुद्दीन रोड जंक्शन, आसनसोल की. जहां एक शिक्षक और एक शिक्षिका मिलकर यह स्कूल चला रहे हैं.
हिंदी मीडियम स्कूल दुर्गा विद्यालय नूरुद्दीन रोड जंक्शन के ठीक सामने आसनसोल (पश्चिम बंगाल) के जीटी रोड पर तलपुकुरिया क्षेत्र में स्थित है. यहां कक्षा एक से पांच तक की पढ़ाई होती है. स्कूल की स्थापना 1927 में हुई थी. नब्बे के दशक में भी इस स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या साढ़े तीन सौ के आसपास थी. एक समय था जब इस स्कूल में बच्चों को बैठने के लिए जगह नहीं मिलती थी. स्कूल का संचालन स्कूल की प्रभारी शिक्षिका मंजू कुमारी और शिक्षक बबलू भगत कर रहे हैं.
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मंजू कुमारी और बबलू भगत ने ड्राप आउट को कम करने लिए कई बार अभिभावकों से बात की लेकिन वे छात्रों को इस स्कूल में नहीं भेजना चाहते हैं. विद्यालय की प्रभारी शिक्षिका मंजू कुमारी ने कहा कि विद्यालय के सामने जीटी रोड है. छात्रों को स्कूल आने के लिए उस जीटी रोड को पार करना पड़ता है. इस वजह से कई लोग स्कूल नहीं आना चाहते हैं. हमारा स्कूल भी कक्षा V तक है. अन्य हिंदी खंड के स्कूलों में पहली से बारहवीं तक पढ़ाई होती है. नतीजतन, माता-पिता बच्चों को इस स्कूल में नहीं डालना चाहते हैं. इसलिए छात्रों की संख्या घट रही है.
स्कूल के शिक्षक बबलू भगत ने बताया कि इस स्कूल के पीछे रेलवे का आउटहाउस था. वहां अधिकारियों की नौकरानियां रहती थीं. इस विद्यालय में मुख्य रूप से निम्न वर्ग के परिवारों के छात्र, दैनिक मजदूर वर्ग के परिवारों के छात्र पढ़ने आते हैं. रेलवे ने आउटहाउस हटा दिया. तो वहां रहने वाले परिवार भी विस्थापित हो गये और उनके साथ स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी चले गये. साथ ही यहां पढ़ने वाले बच्चों के ज्यादातर माता-पिता मजदूरी का काम करते हैं और वे सुबह ही काम पर निकल जाते हैं वे खुद छात्रों को जीटी रोड (हाईवे) पार नहीं करा सकते. नतीजतन बच्चे स्कूल ही नहीं आते हैं. इसलिए छात्रों की संख्या घट रही है. हालांकि संख्या बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं.
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मिड-डे मील की व्यवस्था दूसरे स्कूल में :इस स्कूल में मिड-डे मील बंद कर दिया गया क्योंकि छात्रों की संख्या दिन-ब-दिन कम होती गई. लेकिन जो आएंगे वो मिड-डे मील कहां खाएंगे? इसलिए स्कूल निरीक्षक ने उन्हें पास के स्कूल में ले जाकर मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था करने का निर्णय लिया है. इसी तरह हर दिन दुर्गा विद्यालय के शिक्षक मध्याह्न भोजन कराने के लिए छात्रों को जीटी रोड के विपरीत छोर पर सावधानी से ले जाते हैं. सड़क पर चलते बड़े वाहनों के बीच में सड़क पार करना वाकई खतरनाक है. लेकिन शिक्षकों के पास कोई रास्ता नहीं है.
लेकिन ऐसे चलेगा स्कूल? :दुर्गा विद्यालय के शिक्षकों के अनुसार यदि पठन-पाठन की गुणवत्ता में सुधार के लिए अधोसंरचना बढ़ाई जा सके, विद्यालय को और आकर्षक बनाया जा सके तो विद्यार्थियों की संख्या में इजाफा हो सकता है. कई लोग इस एक कमरे वाले स्कूल में नहीं आना चाहते. शिक्षकों ने कहा कि यदि सुविधाएं नहीं बढ़ाई जा सकती तो इस स्कूल को अन्य स्कूलों के साथ मिला देना चाहिए. उसमें इन छात्रों को स्कूल का माहौल भी वापस मिलेगा और वे पढ़ाना भी पसंद करेंगे. इस मामले में जब जिला विद्यालय निरीक्षक देबब्रत पाल से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि विद्यालय का दौरा किया गया है और बैठक भी हुई है. छात्रों की संख्या बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है.
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