पटना :लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर बिहार समेत उत्तर भारत और देश के कई हिस्सों में उत्साह का माहौल है. महापर्व छठ का आज तीसरा दिन है. आज अस्ताचलगामी सूर्य को 'पहला अर्घ्य' (First Arghya Of Chhath Puja) दिया जाएगा. छठ महापर्व (Chhath Puja 2022 In Bihar) में संध्याकालीन अर्घ्य की विशेष महत्ता है. माना जाता है कि सूर्य षष्ठी यानी कि छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के वक्त सूर्यदेव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं. इसलिए 'संध्या अर्घ्य' देने से प्रत्यूषा को अर्घ्य प्राप्त होता है. मान्यताओं के अनुसार प्रत्यूषा को अर्घ्य देने से इसका लाभ भी अधिक मिलता है.
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छठ पूजा से यश, धन, वैभव की प्राप्तिः मान्यता के अनुसार संध्या अर्घ्य देने और सूर्य की पूजा अर्चना करने से जीवन में तेज बना रहता है और यश, धन, वैभव की प्राप्ति होती है. शाम को अस्ताचलगामी सूर्यदेव को पहला अर्घ्य दिया जाता है, इसलिए इसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है. इसके पश्चात विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है. संध्या को अर्घ्य देने के लिए छठ व्रती पूरे परिवार के साथ घाटों की ओर रवाना होते हैं. इस दौरान पूरे रास्ते व्रती दंडवत करते जाते हैं. सूर्य देव को अर्घ्य देने से पहले रास्ते भर उन्हें जमीन पर लेटकर व्रती प्रणाम करते हैं. दंडवत करने के दौरान आस-पास मौजूद लोग छठव्रती को स्पर्श कर प्रणाम करते हैं, ताकि उन्हें भी पूण्य की प्राप्ति हो सके.
इस तरह देते हैं भागवान भास्कर को अर्घ्यः अर्घ्य देने के लिए शाम के समय सूप और बांस की टोकरियों में ठेकुआ, चावल के लड्डू और फल ले जाया जाता है. पूजा के सूप को व्रती बेहतर से बेहतर तरीके से सजाते हैं. कलश में जल एवं दूध भरकर इसी से सूर्यदेव को संध्या अर्घ्य दिया जाता है. इसके साथ ही सूप की सामग्री के साथ भक्त छठी मईया की भी पूजा अर्चना करते हैं. छठ व्रती पूरे परिवार के साथ छठ घाट पर दउरा में प्रसाद लेकर पहुंचते हैं और डूबते सूर्य की उपासना के लिए जल एवं दूध लेकर तालाब, नदी या पोखर में खड़े हो जाते हैं. अस्ताचलगामी सूर्य पूजन के बाद सभी लोग घर लौट आते हैं. वहीं, रात में छठी माई के भजन गाये जाते हैं और व्रत कथा का श्रवण किया जाता है. साथ ही चौथे दिन सुबह में उगते सुर्य को अर्घ्य देने की तैयारी भी की जाती है.
करें कुछ खास नियमों का पालनः इस दिन कुछ खास नियमों का पालन करने से व्रती को इसका लाभ मिलता है. सूर्य षष्ठी के दिन सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान कर हल्के लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है. एक तांबे की प्लेट में गुड़ और गेहूं रखकर अपने घर के मंदिर में रखने से भी पूरे परिवार को इसका लाभ मिलता है. माना जाता है कि लाल आसन पर बैठकर तांबे के दीये में घी का दीपक जलाने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं. भगवान सूर्य नारायण के सूर्याष्टक का तीन या पांच बार पाठ करना फलदायी होता है.
छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाली समाग्रीः छठ पूजा में नई साड़ी, बांस की बनी हुए बड़ी-बड़ी टोकरियां, पीतल या बास का सूप, दूध, जल, लोटा, शाली, गन्ना, मौसमी फल, पान, सुथना, सुपारी, मिठाई, दिया आदि समानों की जरुरत होती है. दरअसल सूर्य देव को छठ के दिन इस मौसम में मिलने वाली सभी फल और सब्जी अर्पण किए जाते हैं. छठ पूजा की शुरूआत नहाय खाय 28 अक्टूबर शुक्रवार से हुई है. दूसरे दिन यानी कल 29 अक्टूबर शनिवार को खरना था. तीसरे दिन यानी आज अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और आखिरी व चौथे दिन 31 अक्टूबर सोमवार को उदीयमान सूर्य अर्घ्य दिया जाएगा.
छठ पूजा का तीसरा दिन