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न्याय की आस: जानें कहां एक फौजी पिता ने 22 दिन से डीप फ्रीजर में रखा है बेटे का शव - father has kept the sons body in the deep freezer for 22 days

सुल्तानपुर जिले के कूरेभार क्षेत्र में न्याय की आस में एक फौजी पिता ने अपने बेटे के शव को पिछले 22 दिनों से डीप फ्रीजर में रखा है. वहीं, जिला प्रशासन ने शव का अंतिम संस्कार नहीं करने पर नोटिस जारी किया है.

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Published : Aug 23, 2021, 3:12 AM IST

सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश) : जिले के कूरेभार क्षेत्र में न्याय की आस में एक फौजी पिता ने अपने बेटे के शव को पिछले 22 दिनों से डीप फ्रीजर में रखा है. मजिस्ट्रेट के तौर पर मृतक के घर पहुंचे मुख्य राजस्व अधिकारी शमशाद हुसैन ने बताया कि सरैया मझौवा गांव में सेवानिवृत्त सूबेदार शिवप्रसाद पाठक ने गत एक अगस्त को दिल्ली में संदिग्ध परिस्थितियों में मरे अपने बेटे शिवांक का शव न्याय पाने की आस में डीप फ्रीजर में रखा है.

उन्होंने बताया कि मौत के बाद दोबारा पोस्टमार्टम कराने और मृतक की पत्नी गुरलीन कौर और ससुर सुरेंद्रजीत सिंह समेत चार लोगों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराने की अर्जी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट किरण गोंड ने खारिज कर दी है. मगर मृतक का परिवार बिना घटना के खुलासे के शिवांक के अंतिम संस्कार के लिए तैयार नहीं है.

हुसैन ने बताया कि स्थानीय प्रशासन की तरफ से परिजन को संयुक्त रूप से नोटिस देने के साथ ही शव का अंतिम संस्कार नहीं करने पर मुकदमा दर्ज करने की चेतावनी भी दी गई है. अंतिम संस्कार नहीं होना शव का अपमान है. परिजनों को समझाने का प्रयास किया गया है.

उन्होंने बताया कि सेवानिवृत्त सूबेदार शिवप्रसाद पाठक के बेटे शिवांक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत एक अगस्त 2021 को दिल्ली में हो गई थी. शिवांक दिल्ली में वर्ष 2012 में एक कॉल सेंटर में नौकरी करता था. इस बीच शिवांक ने दिल्ली में 24 अप्रैल 2012 को एक व्यक्ति के साथ मिलकर एक कंपनी खोली थी.

कंपनी के पार्टनर ने दिल्ली की ही रहने वाली एक युवती गुरलीन कौर को एचआर के पद पर नियुक्त किया था. शिवांक ने इसी युवती के साथ 2013 में शादी कर ली थी. पाठक का आरोप है कि शिवांक के नाम काफी संपत्ति है, जिस पर युवती की नजर थी.

इसी बीच बीती एक अगस्त को दिल्ली में उसके बेटे शिवांक की संदिग्ध हालत में मौत हो गई. उनका आरोप है कि उनके बेटे की हत्या की गई है लेकिन पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया. शव को पोस्टमार्टम होने के बाद सीधे उन्हें सौंप दिया गया.

इसके बाद वह अपने बेटे शिवांक के शव को लेकर तीन अगस्त को सुल्तानपुर जिले स्थित अपने पैतृक गांव आ गए. पाठक का कहना है कि बेटे की मौत से पर्दा उठाने के लिए उन्होंने कूरेभार थाने की पुलिस को भी सूचना दी लेकिन उनकी एक न सुनी गई.

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बाद में शिव प्रसाद ने मुकदमा दर्ज कराने और दोबारा पोस्टमार्टम कराने के लिए अदालत में अर्जी दाखिल की थी. न्यायालय ने सुनवाई का क्षेत्राधिकार न होने के आधार पर 18 अगस्त को अर्जी खारिज कर दी. इस मामले की जानकारी मिलने पर सुल्तानपुर से सांसद मेनका गांधी ने मृतक शिवांक के पिता को आश्वस्त किया है कि वह दिल्ली पुलिस आयुक्त से बात कर न्याय दिलाएंगी.

(पीटीआई-भाषा)

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