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Papmochani Ekadashi : जानिए पापमोचनी एकादशी से जुड़े तथ्य , शुभ योग व इस दिन क्या करें क्या न करें

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Published : Mar 18, 2023, 7:16 AM IST

Updated : Apr 5, 2023, 12:19 PM IST

पापमोचनी एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र महीने, कृष्ण पक्ष के ग्यारहवें दिन पड़ती है और आज शनिवार को पापमोचनी एकादशी का व्रत-अनुष्ठान किया जाएगा पापमोचनी एकादशी सभी चौबीस एकादशी व्रतों में अंतिम एकादशी है. Papmochani ekadashi 18 march 2023 . Papmochani ekadashi dos and don'ts .

Papmochani ekadashi 18 march 2023  . Papmochani ekadashi dos and don'ts .
पापमोचनी एकादशी

आज 18 मार्च दिन शनिवार को पापमोचनी एकादशी है. एक वर्ष में कुल चौबीस एकादशी होती हैं और पापमोचनी उनमें से एक है जिसे भगवान विष्णु के सम्मान में मनाया जाता है. शाब्दिक अर्थ में, पापमोचनी दो शब्दों से मिलकर बनी है अर्थात 'पाप' का अर्थ है 'पाप' और 'मोचनी' जिसका अर्थ है 'हटाना' और साथ में यह दर्शाता है कि जो पापमोचनी एकादशी का पालन करेगा वह सभी पिछले और वर्तमान पापों से मुक्त हो जाता है. पापमोचनी एकादशी के इस शुभ और भाग्यशाली दिन पर, भक्त भगवान विष्णु की पूजा और अर्चना करते हैं.

पापमोचनी एकादशी का क्या महत्व है!
ऐसा माना जाता है कि पापमोचनी एकादशी अत्यधिक अनुकूल है और जो इस विशेष दिन व्रत रखता है वह अपने पापों से मुक्त होता है और आगे एक शांतिपूर्ण और सुखी जीवन व्यतीत करता है. एकादशी के व्रत से भक्तों को दृष्टि और विचार की स्पष्टता तो मिलती ही है साथ ही उन्हें सभी दुखों और मानसिक कष्टों से भी मुक्ति मिल जाती है. पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से भक्तों को अपार सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.

पापमोचनी एकादशी

पापमोचनी एकादशी व्रत की विधि (अनुष्ठान) क्या हैं?
पापमोचनी एकादशी के विभिन्न अनुष्ठान और उत्सव दशमी के दिन से शुरू होते हैं जो एकादशी से एक दिन पहले होता है. सभी भक्त एक सख्त उपवास का पालन करते हैं और भोजन और पानी के सेवन से खुद को दूर रखते हैं. देवता को प्रसन्न करने के लिए भगवान विष्णु और सत्यनारायण कथा के विभिन्न मंत्रों का जाप-पाठ किया जाता है. पापमोचनी एकादशी व्रत करने की विधि अन्य एकादशी व्रतों की तरह ही है और हरिवासर में इसका स्पष्ट वर्णन किया गया है. भक्त जल्दी उठते हैं और पास के किसी भी झील या नदी में पवित्र स्नान करते हैं.

पापमोचनी एकादशी

स्नान करने के बाद, भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं जहां वे देवता को पवित्र भोजन (प्रसाद), अगरबत्ती, चंदन और फूल चढ़ाते हैं. Papmochani ekadashi के दिन भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं. उपवास में, भक्त पानी और फलों का सेवन कर सकते हैं. वे भगवान विष्णु से प्रार्थना करते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं और भजन-कीर्तन गाते हैं. विभिन्न मंदिरों में विशेष पूजाएं आयोजित की जाती हैं जहाँ भगवत गीता पर व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि जप और उपवास एक साथ भक्त के शरीर के चारों ओर एक सुरक्षा कवच बनाते हैं. एकादशी पारणा (पाराना का अर्थ है उपवास समाप्त करना) अगले दिन द्वादशी की सुबह किया जाता है.

पापमोचनी एकादशी के दिन तीन शुभ योग हैं.

  1. द्विपुष्कर योग: 18 मार्च 12:29 मध्यरात्रि से 19 मार्च प्रातः 6:27 तक.
  2. सर्वार्थ सिद्धि योग: 18 मार्च को सुबह 6:28 से 19 मार्च को 12:29 बजे तक.
  3. शिव योग: 17 मार्च को 3 बजकर 33 मिनट से 18 मार्च को रात 11 बजकर 54 मिनट तक.

Papmochani Ekadashi dos and don'ts : पापमोचनी एकादशी के दिन क्या करें, क्या न करें
पापमोचनी एकादशी के दिन और सभी अन्य एकादशी में तामसिक वस्तुओं का बाहरी तौर पर और भोजन में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. एकादशी के दिन सुगंधित चीज सुगंधित वस्तुओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे मन की एकाग्रता भंग होती है. आज के दिन खाने में लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा, आदि का सेवन नहीं करना चाहिए. आज के दिन मसूर की दाल, गाजर, शलजम आदि वस्तुओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. एकादशी के दिन भोजन में चावल का इस्तेमाल वर्जित है वर्जित है. आज के दिन नाखून बाल आदि नहीं कटवाना चाहिए.पापमोचनी एकादशी के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है. पापमोचनी एकादशी के दिन व्रत करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती हैzमान्यता है कि इस पापमोचनी एकादशी के व्रत को करने वाले को गाय के दान के बराबर पुण्य मिलता है.

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Disclaimer : यह आर्टिकल धार्मिक मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है, ईटीवी भारत ऐसी किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता.

Last Updated : Apr 5, 2023, 12:19 PM IST

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