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India Canada Relation Explained : भारत ने कनाडाई राजनयिकों को क्यों वापस भेजा, समझें पूरा मामला

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 21, 2023, 2:27 PM IST

भारत ने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का हवाला देते हुए 41 कनाडाई राजनयिकों की राजनयिक छूट रद्द कर दी है. ईटीवी भारत के अरूनिम भुइयां बता रहे हैं इसके निहितार्थ... 41 diplomats fired from New Delhi, India response hard to Canada, canada says India violates Vienna convention

India Canada Relation Explained
जस्टिन ट्रूडो और पीएम मोदी की फाइल फोटो.

नई दिल्ली: भारत ने कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली के आरोप का खंडन किया है. कनाडा की विदेश मंत्री ने कहा था कि कनाडा के 41 राजनयिकों की राजनयिक छूट का रद्द करना 'अंतर्राष्ट्रीय कानून के' मुताबिक नहीं है. भारत ने कहा है कि यह कार्रवाई पूरी तरह से राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन के अनुरूप है.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि दो-तरफा राजनयिक समानता सुनिश्चित करना राजनयिक संबंधों को लेकर हुई वियना संधि के प्रावधानों के अनुरूप है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम समानता के कार्यान्वयन को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के उल्लंघन के रूप में पेश करने के किसी भी प्रयास को खारिज करते हैं. विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हमने भारत में कनाडाई राजनयिकों की उपस्थिति के संबंध में 19 अक्टूबर को कनाडा सरकार द्वारा दिया गया बयान देखा है.

मंत्रालय ने कहा कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति, भारत में कनाडाई राजनयिकों की बहुत अधिक संख्या और हमारे आंतरिक मामलों में उनका निरंतर हस्तक्षेप नयी दिल्ली और ओटावा में पारस्परिक राजनयिक उपस्थिति में समानता को वांछित बनाता है.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने राजनयिक उपस्थिति में समानता सुनिश्चित करने के तौर-तरीकों पर पिछले महीने कनाडाई पक्ष के साथ विस्तृत चर्चा की थी. मंत्रालय ने कहा कि राजनयिक उपस्थिति में समानता को लागू करने का हमारा कदम वियना संधि के अनुच्छेद 11.1 के तहत पूरी तरह से सुसंगत है.

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति, भारत में कनाडाई राजनयिकों की बहुत अधिक संख्या और हमारे आंतरिक मामलों में उनका निरंतर हस्तक्षेप नई दिल्ली और ओटावा में आपसी राजनयिक उपस्थिति में समानता की गारंटी देता है. मंत्रालय ने कहा कि भारत इस समानता लाने के विवरण और तौर-तरीकों पर काम करने के लिए पिछले महीने से कनाडा के साथ जुड़ा हुआ है.

इस समता को लागू करने में हमारे कार्य पूरी तरह से राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन के अनुच्छेद 11.1 के अनुरूप हैं, जिसमें निम्नलिखित कहा गया है: 'मिशन के आकार के बारे में विशिष्ट समझौते की अनुपस्थिति में, प्राप्तकर्ता राज्य को इसके आकार की आवश्यकता हो सकती है. एक मिशन को उस सीमा के भीतर रखा जाना चाहिए जिसे वह उचित और सामान्य मानता है, प्राप्तकर्ता राज्य की परिस्थितियों और स्थितियों और विशेष मिशन की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए.

बयान में कहा गया है हम समता के कार्यान्वयन को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के उल्लंघन के रूप में चित्रित करने के किसी भी प्रयास को अस्वीकार करते हैं. भारत ने दावा किया कि उसके पास कनाडा में केवल 21 मान्यता प्राप्त राजनयिक हैं, जबकि कनाडा के पास भारत में 62 राजनयिक हैं, जो नई दिल्ली में उसके उच्चायोग और मुंबई, चंडीगढ़ और बेंगलुरु में वाणिज्य दूतावासों में फैले हुए हैं.

इस साल जून में खालिस्तानी अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने के ट्रूडो के आरोप के बाद दोनों पक्षों के बीच राजनयिक तनाव पैदा गया था. पिछले महीने भारत ने कनाडा से अपने 41 राजनयिकों को वापस बुलाने को कहा था. जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद नई दिल्ली से लौटने के तुरंत बाद 18 सितंबर को ट्रूडो ने कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स के पटल पर यह आरोप लगाया था.

ट्रूडो के आरोप के साथ ही कनाडा के विदेश मंत्री जोली ने कनाडा में तैनात एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक को निष्कासित करने की घोषणा की थी. इसके साथ ही राजनयिक प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए राजनयिक के नाम का भी खुलासा किया. जैसे को तैसा की कार्रवाई में, विदेश मंत्रालय ने भारत में कनाडाई उच्चायुक्त कैमरन मैके को तलब किया और नई दिल्ली में तैनात एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित करने का आदेश दिया. नई दिल्ली ने ट्रूडो के आरोपों को 'बेतुका और राजनीति से प्रेरित' बताकर खारिज कर दिया था.

विदेश मंत्रालय ने कहा था कि इस तरह के निराधार आरोप खालिस्तानी आतंकवादियों और चरमपंथियों से ध्यान हटाने की कोशिश है. इन आतंकवादियों को कनाडा में आश्रय दिया गया है और जो भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को खतरा पैदा करते रहते हैं. इस मामले पर कनाडाई सरकार की निष्क्रियता लंबे समय से और निरंतर चिंता का विषय रही है. कनाडाई राजनीतिक हस्तियों का खालिस्तान समर्थकों के प्रति खुले तौर पर सहानुभूति व्यक्त करना गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

ट्रूडो के आरोप लगाने के बाद से भारत ने भी कनाडा में भारतीय मिशनों में अपने राजनयिकों की सुरक्षा का हवाला देते हुए सभी कनाडाई नागरिकों के लिए वीजा सेवाएं निलंबित कर दी हैं. इसके अलावा, भारत ने 41 और कनाडाई राजनयिकों को भारत से निष्कासित करने का भी आदेश दिया और कहा कि दोनों देशों में राजनयिकों की संख्या में समानता होनी चाहिए.

41 राजनयिकों की राजनयिक प्रतिरक्षा को रद्द करने के बाद, जोली ने कहा कि 41 राजनयिकों की राजनयिक प्रतिरक्षा को रद्द करना न केवल अभूतपूर्व है बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत भी है. उन्होंने यह बात कनाडा की ओर से अपने 41 राजनयिकों और उनके परिवार के 42 सदस्यों को भारत से वापस बुलाने के बाद कही.

जोली ने कहा कि भारत ने शुक्रवार तक कनाडा के 21 राजनयिकों और उनके परिवारों को छोड़कर सभी के लिए राजनयिक छूट को 'अनैतिक रूप से' रद्द करने की योजना बनाई है. उन्होंने कहा कि राजनयिकों ने कौन से आंतरिक मामलों में यह कैसा हस्तक्षेप किया है जिसका हवाला भारत ने उनकी राजनयिक छूट को रद्द करने के लिए दिया है?

नई दिल्ली स्थित स्वतंत्र थिंक टैंक इमेज इंडिया के अध्यक्ष और भारत-कनाडा संबंधों पर बारीकी से नजर रखने वाले रोबिंदर सचदेव ने ईटीवी भारत को बताया कि कनाडाई राजनयिक किसान आंदोलन जैसे भारत के आंतरिक मामलों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने में शामिल रहे हैं. वे यह जानकारी कनाडाई संघीय सरकार को भेजते हैं जिसके आधार पर ओटावा भारत के संबंध में विदेश नीति संबंधी निर्णय लेता है.

दिसंबर 2021 में, किसान आंदोलन के कुछ सप्ताह बाद, ट्रूडो ने विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया था और कहा था कि ओटावा ने भारतीय किसानों के विरोध के बारे में अपनी चिंताओं से नई दिल्ली को अवगत कराया है. ट्रूडो ने कहा था कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के अधिकारों की रक्षा के लिए कनाडा हमेशा मौजूद रहेगा और स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी. भारत ने तुरंत उनकी टिप्पणियों को 'अनुचित' बताकर खारिज कर दिया क्योंकि वे देश के आंतरिक मामलों से संबंधित थीं.

सचदेव ने कहा कि कनाडाई राजनयिक जो जानकारी इकट्ठा करते हैं वह पक्षपातपूर्ण होती है. सचदेव ने कहा कि दूसरी बात, यह खालिस्तान आंदोलन के बारे में भी है जिसका कनाडाई सरकार समर्थन करती है.

उसानास फाउंडेशन थिंक टैंक के निदेशक, संस्थापक और सीईओ और खालिस्तान मुद्दे पर करीब से नजर रखने वाले अभिनव पंड्या ने कहा कि अधिक से अधिक खालिस्तानी कार्यकर्ता कनाडा में मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश कर रहे हैं. इस संबंध में उन्होंने न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) का जिक्र किया जो ट्रूडो सरकार की सहयोगी है. एनडीपी के नेता जगमीत सिंह खालिस्तानी मुद्दे के जाने-माने समर्थक हैं.

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कनाडा में 2021 के संसदीय चुनावों के बाद, ट्रूडो की लिबरल पार्टी ने 160 सीटें जीतीं, जो अपने दम पर सरकार बनाने के लिए आवश्यक 170 के बहुमत के आंकड़े से 10 कम है. इसके बाद ट्रूडो की पार्टी ने एनडीपी का समर्थन लिया जिसने 25 सीटें जीतीं और सरकार बनाई. पर्यवेक्षकों का कहना है कि ट्रूडो घरेलू राजनीतिक मजबूरियों के कारण अपने देश में रहने वाले खालिस्तान समर्थकों का समर्थन कर रहे हैं. सचदेव ने कहा कि हस्तक्षेप का मतलब कनाडाई राजनयिकों का भारत में ऐसे तत्वों के साथ बातचीत करना भी है जो भारत के राष्ट्रीय हितों के लिए हानिकारक हैं.

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