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RBI आज करेगा मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा, जानें अर्थशास्त्रियों की राय

केंद्रीय बैंक शुक्रवार को चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करेगा. 30 अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक लगातार आठवीं बार नीतिगत दरों पर यथास्थिति बनाए रखेगा. इस समय रेपो दर चार प्रतिशत और रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत है. मौद्रिक नीति समीक्षा पर अर्थशास्त्रियों की राय को लेकर पढ़ें ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता कृष्णानन्द त्रिपाठी की रिपोर्ट.

मौद्रिक नीति समीक्षा
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Published : Oct 8, 2021, 7:48 AM IST

नई दिल्ली : मुद्रास्फीति के लगातार दो महीने से अपने लक्ष्य से ऊपर रहने के बीच शुक्रवार को केंद्रीय बैंक चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करेगा. ऐसे में कई विशेषज्ञों का मानना है कि RBI अपनी चौथी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में प्रमुख ब्याज दरों को अपरिवर्तित छोड़ सकता है.

जानकारी के मुताबिक, RBI के दर-निर्धारण समिति (एमपीसी) ने बुधवार को तीन दिवसीय विचार-विमर्श शुरू किया था. अब शुक्रवार यानी की आज RBI गवर्नर (RBI Governor) शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) समिति के फैसले की घोषणा करेंगे. RBI की छह सदस्यीय समिति घरेलू और बाहरी कारकों पर विचार कर सकती है, जिसमें चीनी रियल एस्टेट ऋणदाता (Chinese real estate lender) एवरग्रांडे के बंद होने से उत्पन्न वित्तीय संकट को समाप्त करने का अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) का फैसला भी शामिल है. संभवतः समिति किसी फैसले पर पहुंचने से पहले घरेलू कारकों जैसे भारतीय वित्तीय बाजार में मुद्रास्फीति की स्थिति (inflation scenario) पर भी विचार कर सकती है.

ब्लूमबर्ग द्वारा किए गए एक सर्वे से पता चला कि 30 अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक लगातार आठवीं बार नीतिगत दरों पर यथास्थिति बनाए रखेगा. इस समय रेपो दर चार प्रतिशत और रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत है. जबकि पूर्व मुख्य वित्तीय सलाहकार अरविंद विरमानी ने सिफारिश की थी कि RBI को नीतिगत दरों की यथास्थिति बनाए रखनी चाहिए. साथ ही संपत्ति की कीमतों पर भी नजर रखनी चाहिए.

विरमानी ने कहा कि अब सरकार का ध्यान मौद्रिक से राजकोषीय की ओर से जाना चाहिए. नीति समिति को कोयले की कमी और बिजली के मूल्य निर्धारण पर ध्यान देना चाहिए और इसके प्रति आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए.

कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) की वरिष्ठ उपाध्यक्ष उपासना भारद्वाज (Upasna Bhardwaj) ने कहा कि RBI अनिश्चित वैश्विक पृष्ठभूमि (global backdrop) का सामना कर रहा है, क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व अपनी संपत्ति खरीद को कम करने के लिए तैयार है. वहीं, आपूर्ति-मांग के बेमेल का असर कच्चे तेल और कोयले की कीमतों में नजर आ रहा है.

उन्होंने कहा कि नीतिगत दरों या रुख में किसी भी बदलाव की उम्मीद तो नहीं हैं, लेकिन MPC को संभावित निकास नीति को आगे बढ़ने को लेकर कुछ संकेत देना चाहिए.

HDFC बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ का मानना है कि RBI को वर्तमान के रेपो दर को आगे भी बनाए रखना चाहिए. हालांकि, खासतौर पर चीन से झटका, 2022 की पहली छमाही तक मुद्रास्फीति कम न होने पर संभावित कार्रवाइयों से जुड़े अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन के बयान और अमेरिकी ऋण सीमा नहीं बढ़ने से वैश्विक जोखिम की आशंका बढ़ गई है.

मौद्रिक नीति समिति के फैसले पर असर डालने वाले घरेलू कारकों के बारे में बरुआ ने कहा कि घरेलू उत्पादन में अंतर उच्च स्तर पर बना हुआ है और अधिकांश उद्योगों में क्षमता उपयोग 75 प्रतिशत से कम है.

ईग्रो फाउंडेशन के सीईओ चरण सिंह ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों और मुद्रास्फीति की वर्तमान स्थित के जोखिमों पर प्रकाश डाला. यह समिति के सदस्यों के लिए चिंता का कारण हो सकते हैं और उनके फैसले पर असर डाल सकते हैं.

उन्होंने कहा कि वैश्विक बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है. चीन की स्थिति गंभीर होती जा रही है. ऊर्जा संकट बड़े पैमाने पर उभरकर सामने आ रहा है, जहां कोयले की लागत बढ़ सकती है. इन वैश्विक कारकों के कारण मौद्रिक नीति की भूमिका सीमित हो सकती है और राजकोषीय नीति अतिरिक्त जिम्मेदारी ले सकती है.

बता दें कि महामारी की पहली लहर के बीच 22 मई, 2020 को रेपो दर में 0.4 प्रतिशत कटौती के बाद से केंद्रीय बैंक ने पिछली आठ समीक्षाओं में नीतिगत दरों को यथावत रखा हुआ है.

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