नई दिल्लीःसनातन धर्म में शरद पूर्णिमा को बेहद खास त्योहार माना जाता है. शरद पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इसके अलावा भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में धन की कमी दूर होती है. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि इस वर्ष शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी. हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ही शरद पूर्णिमा कहा जाता है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन आकाश से अमृत की बूंदों की वर्षा होती है. इस बार पंचांग भेद की वजह से कुछ जगहों पर 20 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा मनाई जाएग. शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है. अंतरिक्ष के समस्त ग्रहों से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा चंद्रकिरणों के माध्यम से पृथ्वी पर पड़ती हैं.
अनीष व्यास बताते हैं कि देश के कई इलाकों में शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. कोजागरी पूर्णिमा का त्योहार पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. पश्चिम बंगाल व ओडिशा में मान्यता है कि विधिपूर्वक पूजा करने से व्यक्ति को आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है.
पौराणिक मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने शरद पूर्णिमा पर ही महारास की रचना की थी. इस दिन चंद्र देवता की विशेष पूजा की जाती है और खीर का भोग लगाया जाता है. रात में आसमान के नीचे खीर रखी जाती है. ऐसा माना जाता है कि अमृत वर्षा से खीर भी अमृत के समान हो जाती है.
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां लक्ष्मी की समुद्र मंथन से उत्पत्ति शरद पूर्णिमा के दिन ही हुई थी. इस तिथि को धन-दायक भी माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर विचरण करती हैं और जो लोग रात्रि में जागकर मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं, वे उस पर कृपा बरसाती हैं और धन-वैभव प्रदान करती हैं. इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ होता है और पृथ्वी पर चारों तरफ चंद्रमा की उजियारी फैली होती है. धरती जैसे दूधिया रोशनी में नहा जाती है.