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#etv bharat dharma : 677 साल बाद बन रहा गुरु और शनि का योग, जानिए क्यों है खास

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Published : Oct 27, 2021, 5:02 PM IST

हिंदू धर्म में किसी भी नये कार्य की शुरुआत करना हो या फिर शुभ खरीदारी करनी हो, उसके लिए शुभ मुहूर्त जरूर देखा जाता है. मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में की गई खरीदारी चीजें या किसी नये कार्य का शुभारंभ करने पर, उसमें सफलता अवश्य मिलती है. सभी 27 नक्षत्रों में कुछ नक्षत्र बहुत ही शुभ और फलदायी माने जाते हैं, जिनमें से गुरु-पुष्य नक्षत्र बहुत खास होता है. आइये जानते हैं क्या है गुरु-पुष्य नक्षत्र. (guru pushya nakshatra )

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नई दिल्ली :28 अक्टूबर को पूरे दिन और रात पुष्य नक्षत्र (guru pushya nakshatra ) रहेगा. इस दिन गुरुवार होने से गुरु पुष्य योग बन रहा है. इस पूरे दिन में अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा. इस बार 677 साल बाद गुरु पुष्य नक्षत्र पर गुरु और शनि का दुर्लभ योग बना है. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि इस बार धनतेरस और दीपावली से पहले खरीदारी कर सकते हैं, वो भी शुभ मुहूर्त में. यह महामुहूर्त 28 अक्टूबर को आएगा. इस वर्ष स्वर्ण आभूषण, भूमि-भवन के साथ चल-अचल संपत्ति की खरीदारी के लिए गुरु पुष्य नक्षत्र 25 घंटे 57 मिनट का रहेगा. इस साल गुरु-पुष्य को साथ सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग और भी खास बना रहा है.

ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि हिंदू धर्म (Hindu Religion) में किसी भी नये कार्य की शुरुआत करना हो या फिर शुभ खरीदारी करनी हो, उसके लिए शुभ मुहूर्त जरूर देखा जाता है. मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में की गई खरीदारी चीजें या किसी नये कार्य का शुभारंभ करने पर, उसमें सफलता अवश्य मिलती है. पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनिदेव हैं. शनिवार को या शनि के नक्षत्र में जो भी काम किया जाता है, वह लंबे समय तक चलता है. मान्यता है कि इन शुभ मुहूर्तों में खरीदी गई वस्तु सुख दायक होती है. इस दिन नए कामों की शुरुआत करना भी सफलतादायक रहेगा.

ज्योतिषशास्त्र (Astrology) के अनुसार, सभी 27 नक्षत्रों में कुछ नक्षत्र बहुत ही शुभ और फलदायी माने जाते हैं, जिनमें से गुरु-पुष्य नक्षत्र बहुत खास होता है. जब भी गुरुवार के दिन पुष्प नक्षत्र पड़ता है, इसे गुरु-पुष्य नक्षत्र कहा जाता है. ऐसा शुभ संयोग साल में एक से दो बार ही बनता है. गुरु पुष्य नक्षत्र में खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना जाता है. इसके अलावा 28 अक्तूबर को पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और अमृत सिद्धि योग भी रहेगा.

इस साल गुरु और शनि, शनि के स्वामित्व वाली मकर राशि (Capricorn) में एक साथ स्थित हैं. दोनों ग्रह मार्गी रहेंगे और इन ग्रहों पर चंद्र की दृष्टि भी होगी, जिससे गजकेसरी योग भी बनेगा. चंद्र धन का कारक ग्रह है और यह योग सभी प्रकार से मंगलकारी होगा. 677 साल पहले 5 नवंबर 1344 को भी गुरु-शनि की युति मकर राशि में थी और गुरु पुष्य योग बना था.

पुष्य नक्षत्र पर खरीदारी (purchasing) के साथ ही दान-पुण्य भी जरूर करना चाहिए. जरूरतमंद लोगों को नये वस्त्र, अनाज, जूते-चप्पल और धन का दान करना चाहिए. किसी गौशाला में हरी घास और गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें. इस दिन किसी मंदिर में पूजन सामग्री भेंट करें. शिवजी को बेसन के लड्डू का भोग लगाएं. शिवलिंग पर चने की दाल और पीले फूल चढ़ाएं.

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दीपावली पर बन रहे कब कौन से योग

27 अक्टूबर- रवि योग

28 अक्टूबर- सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, गुरु पुष्य, अमृत

2 नवंबर- त्रिपुष्कर योग

3 नवंबर- सर्वार्थ सिद्धि योग

5 नवंबर- सर्वार्थ सिद्धि योग, राज योग, कुमार योग

पुष्य नक्षत्र मुहूर्त

सप्तमी तिथि आरंभ : 28 अक्टूबर प्रातः 9.41 बजे से

सप्तमी तिथि समाप्त: 29 अक्टूबर प्रातः11.38 बजे तक

रवि योग: 28 अक्टूबर प्रातः 9.30 बजे तक

सर्वार्थ सिद्धि योग: 28 अक्टूबर पूरे दिन

गुरु पुष्य के संयोग में चौघड़िया

चर प्रातः 10.30 से दोपहर 12 बजे तक

लाभ दोपहर 12.01 से 1.30 बजे तक

अमृत दोपहर 1.31 से 3 बजे तक

शुभ दोपहर 4.30 से शाम 6 बजे तक

अमृत सायं 6.01 से 7.30 बजे तक

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