उज्जैन। मध्य प्रदेश में स्थित विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल शिवलिंग के क्षरण को लेकर एएसआई की आई रिपोर्ट ने चिंता जताई है. उन्होंने कहा की ज्योतिर्लिंग का क्षरण पहले के मुकाबले ज्यादा बढ़ा है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनी आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने रिपोर्ट में कहा है की 2021 में दिए गए कई सुझावों पर मंदिर समिति ने अमल नहीं किया. उन्होंने कहा की शिवलिंग पर भस्म का गिरना, श्रद्धालुओं की स्पर्श पूजा करते समय शिवलिंग को रगड़ने से ज्योतिर्लिंग को काफी नुकसान हुआ है. बता दें यह समिति 2019 में बनाई गई थी और उसके बाद से हर साल महाकाल परिसर का निरीक्षण कर सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपती है. (Erosion of Mahakal Shivling)
अभी तक 30% हुआ क्षरण: उज्जैन महाकाल क्षरण मामले में एएसआई और जीएसआई ने अप्रैल 2021 की रिपोर्ट में समिति को लिखा था कि रगड़ने, भस्म गिरने और स्पर्श पूजा से ज्योतिर्लिंग पर छोटे-छोटे छिद्र बन गए हैं और ये बढ़ रहे हैं. इनमें पूजन सामग्री के कण रह जाते हैं. इससे वैक्टीरिया पनपते हैं, जिससे क्षरण हो रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक शिवलिंग का आकार 50 सालों में धीरे-धीरे घटा है. सुप्रीम कोर्ट में पेश दस्तावेजों में बताया गया कि ऐसी ही लापरवाही से ओंकारेश्वर के ज्योतिर्लिंग को काफी नुकसान पहुंचा था. फिर ज्योतिर्लिंग पर वज्र लेप भस्म, शिलाजीत, गंधक, सीसा, कांसा और लोहे का मिश्रण लगाया गया, लेकिन तब तक ज्योतिर्लिंग के मूल स्वरूप के 30% हिस्से का क्षरण हो चुका था.