साक्षरता में पीछे छूटा बिहार. पटना: बिहार सरकार ने विधानसभा में जातीय गणना रिपोर्ट और आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश किया. रिपोर्ट के अनुसार बिहार में शिक्षा की स्थिति दयनीय है. मैट्रिक से लेकर स्नातक तक शिक्षा ग्रहण करने वाले लोगों की स्थिति में बहुत ज्यादा सुधार नहीं आया है. स्नातकोत्तर की स्थिति तो और भी खराब है. आंकड़ों के अनुसार बिहार में अभी भी 32 फीसदी आबादी ऐसी है जिसने स्कूल का मुंह तक नहीं देखा है.
साक्षरता दर में बिहार पीछे: बिहार की कुल साक्षरता दर 62% के करीब है, जो केरल की साक्षरता दर 94% से काफी पीछे है. जबकि औसत राष्ट्रीय साक्षरता दर 74% है. लक्षद्वीप, मिजोरम में भी साक्षरता दर 91% से अधिक है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में जानकारी दी थी कि बिहार की साक्षरता दर सबसे कम 61.8% के करीब है. बिहार के बाद अरुणाचल प्रदेश 65.3% और राजस्थान 66.1% आता है.
शिक्षा पर सबसे अधिक राशि खर्च करने का दावाः बिहार की यह स्थिति तब है जब नीतीश सरकार की ओर से पिछले 17-18 सालों में सबसे अधिक धनराशि शिक्षा विभाग को देने की बात कही जाती रही है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में शिक्षा विभाग के लिए 44050 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है, जो कुल बजट का 15.45% है. जबकि 2022-23 में शिक्षा विभाग को 38035.93 करोड़ रुपए बजट आवंटित किया गया था, जो कुल वार्षिक बजट का 16.92% है. लेकिन नीतीश सरकार की ओर से इतनी राशि खर्च करने के बाद भी बिहार में शिक्षा की क्या स्थिति है. जातीय गणना के आर्थिक सामाजिक सर्वे रिपोर्ट से खुलासा होता है.
शिक्षा पर सही ढंग से ध्यान नहीं दियाः सामान्य शिक्षा में जब बिहार पीछे है तो तकनीकी शिक्षा में आगे होने का सवाल ही नहीं होता है. जातीय गणना की रिपोर्ट में मेडिकल इंजीनियरिंग आईटीआई में बिहार की क्या स्थिति है उसका भी खुलासा हुआ है. पटना कॉलेज के पूर्व प्रचारक और शिक्षाविद प्रोफेसर एन के चौधरी ने कहा कि नीतीश सरकार ने प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक पर सही ढंग से ध्यान नहीं दिया है. आज बेहतर शिक्षा के लिए बिहार के छात्र दूसरे राज्यों में जा रहे हैं, क्योंकि बिहार में शिक्षा का माहौल नहीं है. अच्छे शिक्षक नहीं है और जो जरूरी संसाधन चाहिए उसकी घोर कमी है.
"स्कूल से अधिक छात्र कोचिंग में जाना बेहतर समझते हैं। केवल बजट यह प्रावधान करने से शिक्षा में सुधार नहीं हो सकता है शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए प्राइमरी लेवल से स्कूल भवन और अंश संसाधन की बेहतर व्यवस्था करनी होगी योग्य शिक्षकों की बहाली करनी होगी और शिक्षा का माहौल देना होगा "- प्रोफेसर एनके चौधरी, शिक्षाविद
शिक्षा विभाग जदयू के पास रहाः बिहार में एनडीए सरकार में बीजेपी भी भागीदार रही है. पूर्व मंत्री प्रेम कुमार का कहना है कि शिक्षा विभाग हमेशा से जदयू के पास रहा है. बीजेपी के पास जो विभाग रहा है उसमें तो बेहतर परफॉर्मेंस होता रहा है, लेकिन जदयू के मंत्री बेहतर परफॉर्मेंस नहीं कर सके. शिक्षा में कई तरह की कमियां है. शिक्षक से लेकर स्कूल भवन तक बिहार में नहीं है.
नीतीश ने शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद कियाः एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अख्तरुल इमान का कहना है कि
"हमने 2012 में ही कहा था हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु बम गिरने से जितना नुकसान नहीं हुआ उससे ज्यादा नुकसान बिहार में नीतीश सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को किया है." शिक्षा की बदहाल स्थिति को लेकर जब शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर से बात करने की कोशिश की गयी तो उन्होंने बात करने से मना कर दिया. बिहार सरकार के वरिष्ठ मंत्री श्रवण कुमार का कहना है कि
"हम लोगों ने कभी नहीं कहा कि हम बेहतर स्थिति कर दिए हैं. बेहतर स्थिति बनाने की कोशिश हो रही है और इस दिशा में हमारी सरकार ने जातीय गणना करवाया है." स्कूलों में सुविधा का अभाव: बिहार में शिक्षा को बेहतर बनाने का दावा जरूर किया जाता रहा है. प्राइवेट स्कूल की तरह सुविधा उपलब्ध कराने की घोषणा भी की जाती रही है, लेकिन बिहार के सरकारी स्कूलों की तुलना जब दूसरे राज्यों की स्कूलों से करते हैं तो बिहार के स्कूल कई मापदंडों पर काफी पीछे हैं. चाहे भवन का मामला हो स्कूलों में बाथरूम से लेकर अन्य संसाधन मुहैया कराने का मामला हो, लैब की व्यवस्था हो या फिर खेल कूद के लिए मैदान का मामला हो. अधिकांश स्कूलों में कैंटीन तक नहीं है हालांकि इन सब बदहाल स्थितियों के बावजूद बिहार में कुछ स्कूल अच्छे भी कर रहे हैं और दूसरे स्कूलों के लिए मॉडल बन रहे हैं.
उम्मीद की किरणः बिहार के छात्र कम संसाधन के बावजूद अपनी प्रतिभा दिखाते रहे हैं. संसाधन मुहैया कराने के लिए आंदोलन तक करते रहे हैं. अच्छी बात है कि सरकार की ओर से अभी हाल में 120000 शिक्षकों की बहाली की गई है. और 70000 शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. 50000 हेड मास्टर की भी बहाली हो रही है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में बिहार में शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन होगा.
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