नई दिल्ली :इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, दिल्ली में रविवार को शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आयोजित कार्यक्रम 'उच्च शिक्षा - कोरोना के साथ, कोरोना के बाद' में अपने संबोधन के दौरान धर्मेंद्र प्रधान ने कई ऐसे उदाहरण सामने रखे जिसमें उच्च शिक्षा की भूमिका और भविष्य की जरूरतों के संबंध काे उठाया गया.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि कोरोना काल में न केवल देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई बल्कि लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका व्यापक असर पड़ा लेकिन भारत जैसे देश ने जिस प्रकार परिस्थितियों को संभाला वह एक उदाहरण है. जब लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर घरों को वापस जा रहे थे तब संस्थानों और संगठनों ने जिस तरह से लोगों की मदद की, यदि कोई अन्य देश होता तो गृह युद्ध शुरू हो सकता था.
देश की समस्याओं के समाधान देने वाली हो उच्च शिक्षा आज उच्च शिक्षा को इन सभी बातों पर शोध और अध्ययन करने की जरूरत है. बीते दो वर्षों में कोरोना काल के कारण उत्पन्न परिस्थितियों और उसके प्रबंधन से जुड़े तमाम जानकारियों का सही रूप से डॉक्यूमेंटेशन उच्च शिक्षण संस्थान कर सकते हैं.
आरएसएस से सम्बद्ध संस्था शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आयोजित एक दिवसीय गोष्ठी में 'आज की जरूरतों के अनुरूप पाठ्यक्रम में सुधार, कौशल विकास के प्रसार, गुणवत्ता और प्रौद्योगिकी युक्त शिक्षा के साथ-साथ कोरोना काल खंड के आंकलन और मूल्यांकन पर चर्चा हुई. शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस चर्चा से निकले निष्कर्ष भविष्य की रणनीति तैयार करने में मदद करेंगे.
कोरोना के दौर ने दुनिया को तकनीक और बुनियादी ढांचा का महत्व सिखाया है. इस चुनौती ने सम्पूर्ण विश्व को विघटनकारी स्थिति में ला खड़ा किया था. इस कठिन दौर से भारत को सम्भालने में हमारे लोगों की सामूहिक इच्छा शक्ति, ज्ञान और शोध की शक्ति ने बड़ी भूमिका निभाई है. जब कोरोना संकट आया तब देश में PPE किट भी दूसरे देशों से आयात हुआ करता था लेकिन यह तकनीक की ही देन है कि दो माह के भीतर ही भारत PPE किट निर्यात करने लगा. भारत में विकसित कोविड वैक्सीन आज विश्व के कई देशों तक पहुंच रही है, यह सभी चीजें देश की उच्च शिक्षा से संबंधित हैं.
प्रधान ने आगे कहा कि आज जब हम आजादी के 75वें साल का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तो कोरोना संकट के अलावा औद्योगिक क्रांति 4.0 भी विश्व में तेजी से प्रसार कर रही है. नई शिक्षा नीति 2020 भूत और वर्तमान के इन अनुभवों से सीखते हुए हमारे युवाओं को भविष्य की जरूरतों के लिए तैयार करने की तरफ महत्वपूर्ण और बड़ी पहल है.
हमारा प्रयास ऐसे ecosystem का निर्माण करना है जिसमें भारत के युवाओं को शिक्षित करने के साथ-साथ उनको रोजगार के काबिल बनाया जा सके. हमारे युवाओं का ज्ञान और कौशल ही भारत में उत्पादन, निर्माण और अनुसंधान को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भर भारत निर्माण को तेज रफ्तार देने वाला ईंधन बनेगा.
देश में संभावित ऊर्जा संकट पर बात करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि पीएम मोदी ने हाल ही में अपने संबोधन के दौरान इस बात का जिक्र किया था कि आज हम देश में 12 लाख करोड़ की ऊर्जा का आयात करते हैं. कोयला के मामले में देश आत्मनिर्भर है लेकिन फिर भी कुछ इकाइयों में कोयला आयात करने पड़ता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयला महंगा हुआ तो देश में भी इसका असर पड़ा. इन सभी समस्याओं का समाधान उच्च शिक्षा में तकनीक और शोध के माध्यम से किस प्रकार किया जा सकता है यह देखने की जरूरत है. देश में सोलार प्लांट लगाए जा रहे हैं. इन तमाम चुनौतियों को समझते हुए भविष्य की तैयारी करनी पड़ेगी.
धर्मेंद्र प्रधान ने देश में कोविड टीकाकरण पर खुशी व्यक्त करते हुए बताया कि 17 अक्टूबर तक देश में 97 करोड़ 59 लाख लोगों का टीकाकरण हो चुका है. कुल आबादी के लगभग 25% हिस्से काे टीका लग चुका है. हिमाचल के लाहौल स्पीति में शत प्रतिशत लोग कोरोना का टीका ले चुके हैं.