नई दिल्ली : डीआरडीओ के कॉर्नर शॉट वेपन सिस्टम (DRDO Corner Shot Weapon System) से सशस्त्र लक्ष्य को देखना और उस पर हमला करना आसान बनेगा. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेश (डीआरडीओ) के मुताबिक सीएसडब्लूएस दो प्रकारों में विकसित किया जा रहा है. इसकी मदद से इसे संचालित करने वाले सुरक्षाबल (सीएसडब्लूएस ऑपरेटर) किसी भी पलटवार की आशंका के बिना हमला कर सकेंगे.
कॉर्नर शॉट वेपन सिस्टम (CSWS) हथियार के साथ 9 मिमी पिस्टल और 40 मिमी अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर को समायोजित करने के प्रयास किए जा रहे हैं. पिस्टल और ग्रेनेड लॉन्चर सीएसडब्लूएस के दो अलग-अलग संस्करण होंगे. डीआरडीओ सीएसडब्ल्यूएस को दिन और रात के कैमरे से लैस कर रही है.
कॉर्नर शॉट वेपन सिस्टम सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस को दिए जाने की तैयारी की जा रही है. सुरक्षाबलों की प्रभावी कार्रवाई के मकसद से विकसित किए जा रहे अत्याधुनिक सीएसडब्लूएस में अदृश्य लेजर, लेजर लक्ष्यीकरण उपकरण, सामरिक टॉर्च (tactical flashlight), रंगीन एलसीडी मॉनिटर और एक रिचार्जेबल बैटरी भी लगाई गई है.
सीएसडब्लूएस सीआरपीएफ औरजम्मू-कश्मीर पुलिस के लिए, एक्सपोर्ट भी संभव
रिपोर्ट में कहा गया है कि कॉर्नर शॉट वेपन सिस्टम मार्च, 2019 में बनकर तैयार हो चुका था. पिछले तीन वर्षों के दौरान सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (CAPF) सीएसडब्लूएस का यूजर ट्रायल कई बार कर चुकी है. खबरों के मुताबिक रक्षा अधिकारी ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ सीएसडब्लूएस का अधिग्रहण (CRPF CSWS procurement) करेंगी, जिसकी प्रक्रिया एडवांस स्टेज में है. मीडिया रिपोर्ट में एक अधिकारी ने कहा कि कॉर्नर शॉट वेपन सिस्टम डेवलपमेंट और ट्रायल के दौरान प्रोटोटाइप विकसित करने में दो इंडस्ट्री शामिल हुईं. अधिकारी के मुताबिक दोनों कंपनियों ने डीआरडीओ की ओर से दी गई डिजाइन के आधार पर कॉर्नर शॉट वेपन सिस्टम डेवलप किया और इसमें कोई कमी नहीं पाई गई. अधिकारी के मुताबिक तकनीकी ट्रायल हो चुका है और डीआरडीओ का सीएसडब्लूएस निर्यात के लिए भी तैयार है.
एक दशक पहले शुरू हुआ सीएसडब्लूएस पर काम, जापान के साथ ट्रायल
सीएसडब्लूएस डेवलपमेंट का काम एक दशक पहले शुरू हुआ था. जुलाई. 2020 में डीआरडीओ ने इसकी तकनीक भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को सौंपी. पुणे स्थित बीईएल के अलावा हैदराबाद स्थित जेन टेक्नोलॉजी को भी तकनीक सौंपी गई. दोनों सीएसडब्लूएस का उत्पादन कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल ही में खत्म हुए धर्म गार्जियन 2022 में कॉर्नर शॉट वेपन सिस्टम का प्रयोग किया गया था. कर्नाटक के बेलगावी में भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास धर्म गार्जियन 2022 गत 10 मार्च को समाप्त हुए हैं. भारतीय सैनिकों ने जापान को सीएसडब्लूएस टेक्नोलॉजी समझाई और दोनों ने कमरों में छिपे दुश्मन के खात्मे के लिए कॉर्नर शॉट वेपन सिस्टम का प्रयोग भी किया.
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सीएसडब्लूएस किस लैब में विकसित हुआ
डीआरडीओ के मुताबिक कॉर्नर शॉट वेपन सिस्टम (CSWS) स्पेशल पर्पस वेपन है. सीएसडब्लूएस आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (ARDE) में विकसित किया गया है. महाराष्ट्र के पुणे में स्थित एआरडीई मुख्य रूप से सुरक्षाबलों के लिए पारंपरिक हथियारों के क्षेत्र में अनुसंधान, डिजाइन और विकास का काम करती है. एआरडीई छोटे हथियारों, आर्टिलरी गन, रॉकेट सिस्टम, एयर-डिलीवर्ड मूनिशन और वॉरहेड्स बनाने में विशेषज्ञ है. हथियारों और तोपखाने को डिजाइन और विकसित करने के लिए एआरडीई ने उन्नत बुनियादी सुविधाओं और जरूरी प्रौद्योगिकी की स्थापना की है.
इन इलाकों में प्रभावी कार्रवाई
डिफेंस से जुड़ी एक रिपोर्ट के मुताबिक सीएसडब्लूएस कोने में छिपे टार्गेट पर अटैक (CSWS attack in corner) करने में सक्षम है. कॉर्नर शॉट वेपन सिस्टम में मुड़ने के साथ वीडियो कैप्चर (CSWS bend and captures video) करने की क्षमता है. इस खासियत के कारण सुरक्षाबलों को अचानक होने वाले हमलों से सुरक्षा मिलेगी. शहरी क्षेत्रों के अलावा बंद क्वार्टर में सीएसडब्लूएस सबसे प्रभावी कार्रवाई कर सकता है. सीएसडब्लूएस को हल्का, मजबूत और टिकाऊ बनाने के लिए बॉडी में उच्च गुणवत्ता वाली अल्युमिनियम अलॉय का प्रयोग किया गया है.
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सीएसडब्लूएस जेएसएस 5855 के तहत बना
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत में विकसित वेपन सिस्टम सीएसडब्लूएस 9 एमएम जीलॉक (GLOCK) 17/19 और 1A1 ऑटो पिस्टल वेरिएंट से लैस है. कॉर्नर शॉट वेपन सिस्टम अपने अत्याधुनिक फीचर के कारण कई अंतरराष्ट्रीय सिस्टम से भी बेहतर है. सीएसडब्लूएस में दिन में फायरिंग करने की क्षमता है. इसके अलावा कलर डिस्प्ले, डिजिटल जूम, फायरिंग से पहले बंदूक का निशाना सेट करने वाली जीरोइंग फैसिलिटी (CSWS zeroing facility), हॉट की और बैटरी स्टेटस देखने की सुविधाएं भी दी गई हैं. सीएसडब्लूएस जेएसएस 5855 के तहत बना है, जो काउंटर टेररिज्म और काउंटर इनसरजेंसी ऑपरेशन (csws counter insurgency anti terrorism operation) के दौरान सुरक्षाबलों की प्रभावी कार्रवाई में मदद करेगा. बता दें कि जेएसएस, संयुक्त सेवा विनिर्देश (Joint Services Specifications) रक्षा मंत्रालय के तहत काम करने वाले मानकीकरण निदेशालय (directorate of standardisation) की ओर से तय स्टैंडर्ड है. इससे उत्पादों और प्रक्रियाओं का मानकीकरण (Standardisation of products and processes) सुनिश्चित होता है.
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सीएसडब्लूएस आत्मनिर्भर भारत के तहत
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सीएसडब्लूएस को विकसित करने के दौरान भारत की इंडस्ट्री भी भागीदार रही. ऐसे में उन्हें तकनीक को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिली. इसे आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत स्वदेशी उद्योगों को रक्षा उत्पादन में शामिल करने के प्रयास पर जोर दिए जाने के रूप में देखा जा सकता है.