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चेरी की बंपर पैदावार के बावजूद किसान परेशान

कश्मीर में हर साल लगभग 13 से 14 मीट्रिक टन चेरी (cherries) का उत्पादन होता है. पेड़ों से चेरी तोड़ने से लेकर उन्हें डिब्बाबंद करने और फिर उन्हें बाजारों तक पहुंचाने तक, उद्योग में मजदूरों सहित हजारों लोगों को रोजगार मिलता है. वहीं दूसरी ओर किसानों की शिकायत है कि कोविड-19 प्रतिबंधों (Covid19 restrictions) के कारण उन्हें फल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है.

चेरी की फसल
चेरी की फसल

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Published : Jun 16, 2021, 9:01 AM IST

Updated : Jun 16, 2021, 11:16 AM IST

श्रीनगर :कश्मीर घाटी (Kashmir valley) में इस सीजन की चेरी की पैदावार (cherry crop for this season) बाजारों में बिकने के लिए तैयार है. बागों से तोड़े जाने से लेकर बक्सों में पैक करने तक, चेरी के बागों में प्रक्रिया जोरों पर (process is in full swing all across) है.

कश्मीर में चेरी चार प्रकार की होती हैं जिनमें डबल (double), मशरी (mushy), वेलवेट (velvet) और इटैलियन चेरी (Italian cherries) शामिल हैं. हालांकि, कश्मीर में चेरी का उत्पादन पिछले वर्षों की तुलना में इस साल बेहतर रहा है, लेकिन किसानों की शिकायत (farmers are complaining) है कि कोविड-19 प्रतिबंधों (Covid19 restrictions) के कारण उन्हें फल का उचित मूल्य (fair price for the fruit due) नहीं मिल रहा है.

चेरी से लाल हुए कश्मीर के बाग

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इस बीच चेरी उद्योग (cherry industry) के कई व्यापारियों ने कहा कि इस साल की पैदावार पिछले तीन वर्षों की तुलना में और भी बेहतर होने की उम्मीद थी, लेकिन विशेषज्ञ मार्गदर्शन की समय पर अनुपलब्धता और संबंधित अधिकारियों के ध्यान न देने के कारण, कई स्थानों पर चेरी के बाग खराब हो रहे (cherry orchards in many places are facing a crop failure) हैं.

ईटीवी भारत (ETV Bharat) के साथ बात करते हुए एक चेरी व्यवसायी (cherry businessman) जावेद अहमद (Javed Ahmed) ने कहा कि कीटनाशकों और अन्य सावधानियों के नियमित छिड़काव के बावजूद (despite regular spraying of pesticides and other precautions), चेरी की उत्पादन में पिछले कुछ वर्षों में सुधार नहीं हुआ (cherry crop has not improved over the years)है.

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कश्मीर में हर साल (every year) लगभग 13 से 14 मीट्रिक टन (13 to 14 metric tons) चेरी (cherries) का उत्पादन होता है. पेड़ों से चेरी तोड़ने से लेकर उन्हें डिब्बाबंद करने और फिर उन्हें बाजारों तक पहुंचाने तक, उद्योग में मजदूरों (labourers) सहित हजारों लोगों को रोजगार मिलता है.

जम्मू और कश्मीर बागवानी विभाग (Jammu and Kashmir Horticulture Department) ने हाल ही में देश भर के विभिन्न गंतव्यों व खराब होने वाली बागवानी और कृषि उपज (agricultural produce) के परिवहन के लिए एयरलाइन वाहक गो-एयरलाइंस के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए (signed a Memorandum of Understanding). हालांकि, इस पर कोई अपडेट नहीं किया गया है कि योजना को जमीन पर कब लागू किया जाएगा.

Last Updated : Jun 16, 2021, 11:16 AM IST

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