जम्मू: जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में सेना ने मंगलवार को फिर से इफ्तार पार्टी की तस्वीरें जारी कीं. तस्वीरों में सेना के वरिष्ठ अधिकारी आम लोगों के साथ नमाज अदा करते दिख रहे हैं. सेना के बयान में कहा गया है कि मुख्यालय विक्टर फोर्स के तत्वावधान में श्रीनगर के ओल्ड एयरफील्ड में घाटी के विभिन्न हिस्सों से संबंधित स्थानीय लोगों के साथ बैठक की गई. जिसकी अध्यक्षता जीओसी, चिनार कोर, लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे ने की. सेना के एक प्रवक्ता ने कहा कि शाम की इफ्तार के बाद नमाज अदा की गई. लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे ने बैठक में मौजूद सभी लोगों तक पहुंचने के सेना के प्रयासों पर संतोष व्यक्त किया. भविष्य में इस तरह के उपायों को जारी रखने पर जोर दिया.
नमाज अदा करते लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे सेना के बयान में कहा गया कि जीओसी ने छात्रों, सैनिकों और नागरिकों से बात की. इस अवसर पर 'हाउस ऑफ टेरर' नामक एक पुस्तक का विमोचन भी किया गया. किताब कश्मीर की ही एक कहानी बयां करती है. ये अंवर उमर नाम के शख्स की आत्मकथा है. किताब में बताया गया है कि एक शख्स ने कैसे आतंकवादी से लेकर Ikhwan तक का सफर तय किया था. इस किताब में पाकिस्तान की उस साजिश से भी पर्दा उठाया गया है जहां पर युवाओं को कैसे रेडिक्लाइज किया जाता है. कैसे उन्हें ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान और अफगानिस्तान भेजा जाता है और फिर जेहादी बनने के लिए प्रेरित किया जाता है. इस किताब के जारी होने के बाद ही सेना द्वारा सभी से एकजुट होकर रहने की अपील की गई.
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जब इफ्तार पार्टी से जुड़ा ट्वीट सेना ने हटाया : जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में आम लोगों के लिए ‘इफ्तार’ पार्टी आयोजित करने के सेना के ट्वीट को कथित कट्टरपंथी तत्वों द्वारा ट्रोल किए जाने के बाद हटा लिया गया था. 21 अप्रैल को पीआरओ, रक्षा (जम्मू) की ओर से किए गए ट्वीट में कहा गया था कि धर्मनिरपेक्षता की परंपरा को जीवित रखते हुए भारतीय सेना ने डोडा जिले के अर्नोरा में इफ्तार का आयोजन किया. ट्वीट के साथ कई तस्वीरें साझा की गई थीं, जिनमें सेना के जवान और आम लोग एक साथ रोजा खोलते नजर आ रहे थे.
तस्वीरें साझा किए जाने के कुछ मिनट बाद, सुदर्शन न्यूज के सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ सुरेश चौहान ने ट्वीट किया कि क्या यह बीमारी अब भारतीय सेना में फैल गई है? दुख की बात है. इस ट्वीट के बाद सेना के धर्मनिरपेक्ष चेहरे का विरोध करने वाले कुछ लोगों द्वारा ट्रोल किया जाने लगा. जिसके कुछ घंटों बाद इस ट्वीट को हटा लिया गया. तब सेना के प्रवक्ता ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी. लेकिन एक सैन्य अधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया था कि न केवल आयोजन से संबंधित ट्वीट किया गया था, बल्कि एक आधिकारिक विज्ञप्ति भी जारी की गई थी, क्योंकि जनता के साथ मजबूत रिश्ते बनाने के लिए इफ्तार पार्टियां नियमित रूप से आयोजित की जाती रही हैं. लिहाजा, इस परंपरा को निभाते हुए इस बार भी जम्मू कश्मीर में ऐसी पार्टी की गई. उन्होंने कहा कि यह पार्टी कोई छुपकर नहीं दी गई थी. उन्होंने कहा कि हमें इस बात का दुख है कि लोगों ने इस बारे में सही तरीके से नहीं समझा.
कई सेवानिवृत्त सैन्य जनरलों ने ट्रोल्स के आगे झुकने और ट्वीट को डिलीट करने के लिए सेना की आलोचना की. सेना से सेवानिवृत्त मेजर जनरल यश मूर ने ट्वीट किया कि भारतीय सेना अंतरधार्मिक सद्भाव के मामले में सबसे आगे रही है. हम अधिकारियों के रूप में इस तथ्य पर गर्व करते हैं कि हमारा कोई धर्म नहीं है, हम केवल उन सैनिकों के धर्म को अपनाते हैं जिनकी हम कमान संभालते हैं. सैन्य मामलों के विशेषज्ञ अशोक स्वैन ने कहा कि हिंदू-दक्षिणपंथी ट्रोल के डर से भारतीय सेना अगर इफ्तार पर अपने ट्वीट को हटाने के लिए मजबूर हो सकती है, तो वे पाकिस्तान और चीन की सेना का सामना कैसे कर सकते हैं? जिसके बाद 25 अप्रैल को सेना ने चिनार कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग, लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को नमाज अदा करते हुए तस्वीरें जारी गई.