नई दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली-NCR प्रदूषण मामले पर केंद्र और दिल्ली सरकारों को चेतावनी दी है कि प्रदूषण नियंत्रित करने के ठोस उपाय जल्द करें, अन्यथा अदालत आदेश पारित करेगी. अदालत अब अगली सुनवाई शुक्रवार (03 दिसम्बर) को सुबह 10 बजे करेगी.
जानकारी के मुताबिक, सुनवाई के दौरान अदालत ने दिल्ली सरकार को कहा कि हम औद्योगिक और वाहनों के प्रदूषण को लेकर गंभीर हैं. आप हमारे कंधों से गोलियां नहीं चला सकते, आपको कदम उठाने होंगे.
शीर्ष अदालत ने गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए दिल्ली सरकार के 'रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ' अभियान को लेकर लताड़ लगाई. अदालत ने कहा कि यह एक लोकप्रिय नारा के अलावा और कुछ नहीं है.
प्रधान न्यायाधीश एन.वी.रमना की अध्यक्षता वाली विशेष पीठ ने कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार ने पिछली सुनवाई में वर्क फ्राम होम, लॉकडाउन और स्कूलों और कॉलेजों को बंद करने जैसे कई आश्वासन दिए थे. हालांकि, इन आश्वासनों के बावजूद बच्चे स्कूल जा रहे थे, जबकि बड़े वर्क फ्राम होम कर रहे थे.
केंद्र के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उच्चतम अधिकारी प्रदूषण के बारे में समान रूप से चिंतित हैं और बिजली संरचना को फिर से बनाने की जरूरत है. केंद्र ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए उच्चतम प्राधिकरण से बात करने और अतिरिक्त उपायों के साथ आने के लिए समय मांगा.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को वायु प्रदूषण नियंत्रण उपायों के कार्यान्वयन के लिए एक ठोस उपाय के साथ आने के लिए 24 घंटे की समयसीमा दी. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने NCR और आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से कहा कि आपात स्थिति में आपको आकस्मिक तरीके से काम करने को कहा.
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ रहे पॉल्यूशन के बीच स्कूल खोले जाने पर केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई. शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण के स्तर के बीच स्कूल खोलने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की खिंचाई की. SC ने दिल्ली सरकार से पूछा कि जब सरकार ने वयस्कों के लिए वर्क फ्रॉम होम लागू किया तो बच्चों को स्कूल जाने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें लगता है कि वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने के बावजूद सरकार कोई खास कदम नहीं उठा रही है.