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जेएनयू कुलपति ने कहा, मानव विज्ञान की दृष्टि से देवता ऊंची जाति से नहीं हैं

जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित ने कहा कि मानव विज्ञान की दृष्टि से देवता उच्च जाति से नहीं हैं. भगवान शिव भी अनुसूचित जाति या जनजाति से हो सकते हैं.

Deities not from upper caste from anthropological point of view: JNU VC
जेएनयू कुलपति ने कहा, मानव विज्ञान की दृष्टि से देवता ऊंची जाति से नहीं हैंEtv Bharat

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Published : Aug 23, 2022, 9:22 AM IST

Updated : Aug 23, 2022, 10:45 AM IST

नई दिल्ली: देश में जाति-संबंधी हिंसा की घटनाओं के बीच, जवाहर लाल नेहरु (जेएनयू) की कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित ने सोमवार को कहा कि मानव विज्ञान की दृष्टि से देवता उच्च जाति से नहीं हैं और यहां तक ​​कि भगवान शिव भी अनुसूचित जाति या जनजाति से हो सकते हैं. डॉ. बी आर आंबेडकर्स थॉट्स आन जेंडर जस्टिस, डिकोडिंग द यूनिफॉर्म सिविल कोड शीर्षक वाले डॉ. बी आर आंबेडकर व्याख्यान श्रृंखला में उन्होंने कहा, 'मनुस्मृति में महिलाओं को दिया गया शूद्रों का दर्जा' इसे असाधारण रूप से प्रतिगामी बनाता है.

उन्होंने कहा, 'मैं सभी महिलाओं को बता दूं कि मनुस्मृति के अनुसार सभी महिलाएं शूद्र हैं, इसलिए कोई भी महिला यह दावा नहीं कर सकती कि वह ब्राह्मण या कुछ और है और आपको जाति केवल पिता से या विवाह के जरिये पति की मिलती है. मुझे लगता है कि यह कुछ ऐसा है जो असाधारण रूप से प्रतिगामी है.' नौ साल के एक दलित लड़के के साथ हाल ही में हुई जातीय हिंसा की घटना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी भगवान ऊंची जाति का नहीं है.'

उन्होंने कहा, 'आप में से अधिकांश को हमारे देवताओं की उत्पत्ति को मानव विज्ञान की दृष्टि से जानना चाहिए. कोई भी देवता ब्राह्मण नहीं है, सबसे ऊंचा क्षत्रिय है. भगवान शिव अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से होने चाहिए क्योंकि वह एक सांप के साथ एक श्मशान में बैठते हैं और उनके पास पहनने के लिए बहुत कम कपड़े हैं. मुझे नहीं लगता कि ब्राह्मण श्मशान में बैठ सकते हैं.'

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उन्होंने कहा कि लक्ष्मी, शक्ति, या यहां तक ​​कि जगन्नाथ सहित देवता 'मानव विज्ञान की दृष्टि से' उच्च जाति से नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वास्तव में, जगन्नाथ का आदिवासी मूल है. उन्होंने कहा, 'तो हम अभी भी इस भेदभाव को क्यों जारी रखे हुए हैं जो बहुत ही अमानवीय है. यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम बाबा साहेब के विचारों पर फिर से सोच रहे हैं.

हमारे यहां आधुनिक भारत का कोई नेता नहीं है जो इतना महान विचारक था.' उन्होंने कहा, 'हिंदू कोई धर्म नहीं है, यह जीवन जीने की एक पद्धति है और यदि यह जीवन जीने का तरीका है तो हम आलोचना से क्यों डरते हैं.' उन्होंने कहा, 'गौतम बुद्ध हमारे समाज में अंतर्निहित, संरचित भेदभाव पर हमें जगाने वाले पहले लोगों में से एक थे.'

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Aug 23, 2022, 10:45 AM IST

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