मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय धनशोधन के एक मामले में गिरफ्तार महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख (72) की जमानत याचिका पर आज फैसला आया. देशमुख को जमानत मिल गई है (Deshmukh granted bail). जमानत एक लाख रुपये की जमानत राशि पर दी गई है. हालांकि ईडी मामले में जमानत के बाद भी वह अपने खिलाफ दर्ज सीबीआई मामले में सलाखों के पीछे रहेंगे (he will remain behind the bars in CBI case). हाई कोर्ट ने अनिल देशमुख की जमानत पर 13 अक्टूबर तक रोक लगा दी है. क्योंकि ईडी ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
न्यायमूर्ति एन जे जामदार ने यह आदेश सुनाया. इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय को निर्देश दिया था कि वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता की याचिका पर तेजी से सुनवाई और फैसला करे, क्योंकि यह छह महीने से लंबित है. देशमुख के वकील विक्रम चौधरी और अनिकेत निकम ने दलील दी कि उनकी उम्र (72), स्वास्थ्य और उनकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं होने के मद्देनजर उन्हें जमानत दी जानी चाहिए.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने अर्जी का यह कहते हुए विरोध किया कि देशमुख को ऐसी कोई बीमारी नहीं है, जिसका जेल अस्पताल में इलाज नहीं किया जा सकता.