अगरतला : त्रिपुरा होईकोर्ट ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के कार्यालयों में तोड़फोड़ और आगजनी मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. वहीं, हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के उस फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसके तहत तनाव और हिंसा की आशंका के मद्देनजर राजनीतिक रैलियों की अनुमति नहीं दी गई थी. इससे पहले पुलिस ने 22 सितंबर को होने वाली रैली के आयोजन के लिए तृणमूल को अनुमति देने से इनकार कर दिया था.
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एए कुरैशी और न्यायमूर्ति एसजी चट्टोपाध्याय की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई की. गौरतलब है कि आठ सितंबर को त्रिपुरा में माकपा के कम से कम आठ पार्टी कार्यालयों को या तो जला दिया गया या क्षतिग्रस्त कर दिया गया था.
इस मामले में याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील राजश्री पुरकायस्थ ने कोर्ट को बताया कि पिछले आठ सितंबर को पूरे राज्य में हिंसक घटनाएं हुईं और हर जगह पार्टी कार्यालयों पर हमले हुए थे, लेकिन इस मामले में पुलिस की भूमिका सक्रिय नहीं थी.
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क्या है मामला
8 सितंबर को त्रिपुरा में मुख्य विपक्षी माकपा के कम से कम आठ पार्टी कार्यालयों को या तो जला दिया गया या क्षतिग्रस्त कर दिया गया था. इस संबंध पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य और पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार सहित माकपा नेताओं ने कहा था कि अगरतला में पार्टी कार्यालयों पर हमलों के लिए भाजपा नेताओं के नेतृत्व में सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ता जिम्मेदार हैं. हमले दक्षिणी त्रिपुरा के उदयपुर, संतिर बाजार, पश्चिमी त्रिपुरा का दुकली और सिपाहीजला जिले के बोक्सानगर, विशालगढ़ और खतालिया में किए गए. हालांकि भाजपा नेताओं ने इन आरोपों का खंडन किया है.