मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ ने महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के अस्पतालों में 100 से अधिक खराब वेंटिलेटर की आपूर्ति करने के 'असंवेदनशील रवैये' पर शुक्रवार को केंद्र की आलोचना की.
न्यायमूर्ति आर वी घुगे और न्यायमूर्ति बी यू देबाद्वार की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार को आम नागरिकों की जान के बजाय खराब वेंटिलेटर का निर्माण और आपूर्ति करने वाली कंपनी की चिंता है.
पीठ कोविड-19 महामारी से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.
150 में से 113 वेंटिलेटर खराब
इस सप्ताह के शुरू में औरंगाबाद में सरकारी अस्पतालों के डीन और कुछ निजी अस्पतालों ने अदालत को बताया था कि 'पीएम केयर्स फंड' के तहत केंद्र से मिले 150 वेंटिलेटर में से 113 खराब थे.
अदालत ने तब केंद्र सरकार से जवाब मांगा था कि इस मुद्दे पर वह कब कार्रवाई करने वाली है.
सहायक सॉलिसिटर जनरल अजय तलहर ने शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अवर सचिव जी के पिल्लई की ओर से हलफनामा दायर किया. इसमें कहा गया कि इन वेंटिलेटर की आपूर्ति पीएम केयर्स फंड के तहत नहीं की गई है.
हलफनामा में आगे कहा गया कि गुजरात स्थित जिस कंपनी से ये वेंटिलेटर खरीदे गये, उसने बताया कि उपकरण में कोई खराबी नहीं है और अन्य राज्यों में उसने जो वेंटिलेटर दिये हैं वह ठीक तरह से काम कर रहे हैं.
तलहर ने अदालत को बताया, 'अस्पताल के कर्मियों को ठीक तरह से प्रशिक्षित करना चाहिए और निश्चित तौर पर वे वेंटिलेटर इस्तेमाल करने में सक्षम नहीं हैं.'
पीठ ने हालांकि कहा कि उसे हैरानी है कि केंद्र ने कैसे कंपनी के दावों को जस का तस मान लिया और हलफनामे में यह तक नहीं कहा कि वह मामले पर गौर करेगा.