नई दिल्ली : इजरायल पर हमास के हमले के बाद जवाबी कार्रवाई हो रही है. हालांकि इस बीच एक नई बहस छिड़ गई है. यूके और कनाडा में पब्लिक ब्रॉडकास्टर, ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) हमास के लिए 'आतंकवादी' शब्द का इस्तेमाल नहीं कर रहा है, उग्रवादी या लड़ाके बता रहा है (Hamas Militants or Terrorists). जबकि इज़रायल के अलावा, अमेरिका, कनाडा, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन ने हमास को इज़रायल के खिलाफ सशस्त्र प्रतिरोध के लिए ‘आतंकवादी समूह’ घोषित किया है. बीबीसी के इस कदम की आलोचना हो रही है (not to describe Hamas militants as terrorists).
मामले ने तूल पकड़ा तो बीबीसी की ओर से इस पर पक्ष रखा गया. बीबीसी के अनुभवी, विश्व मामलों के संपादक जॉन सिम्पसन ने कहा है कि 'बीबीसी हमास को आतंकवादी बताकर पक्ष नहीं ले सकता.' उन्होंने कहा है कि इज़रायल पर हमलों को 'आतंकवाद' कहने से पत्रकारिता की 'निष्पक्षता' को खतरा होगा.
सिम्पसन की टिप्पणियां प्रमुख राजनीतिक हस्तियों की ओर से हमास की निंदा के बाद आई हैं, जिसमें लेबर नेता सर कीर स्टार्मर ने हमलों को 'आतंकवादियों' की कार्रवाई बताया था और प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने जोर देकर कहा था कि बीबीसी को 'इसकी निंदा करनी चाहिए.'
बीबीसी की ओर से इस पर कहा गया है कि 'आतंकवाद एक भरा-पूरा शब्द है, जिसका प्रयोग लोग उस संगठन के बारे में करते हैं जिसे वे नैतिक रूप से अस्वीकार करते हैं. लोगों को यह बताना बीबीसी का काम नहीं है कि किसका समर्थन करें और किसकी निंदा करें - कौन अच्छे लोग हैं और कौन बुरे लोग. हम नियमित रूप से बताते हैं कि ब्रिटिश और अन्य सरकारों ने एक आतंकवादी संगठन के रूप में हमास की निंदा की है, लेकिन यह उनका काम है. हम मेहमानों के साक्षात्कार भी चलाते हैं और उन योगदानकर्ताओं को उद्धृत करते हैं जो हमास को आतंकवादी बताते हैं.'
बीबीसी की ओर से कहा गया है कि 'मुख्य बात यह है कि हम इसे अपनी आवाज़ में नहीं कहते हैं. हमारा व्यवसाय अपने दर्शकों को तथ्य प्रस्तुत करना है, और उन्हें अपना मन बनाने देना है. जैसा कि होता है, निश्चित रूप से, आतंकवादी शब्द का उपयोग न करने के लिए हम पर हमला करने वाले कई लोगों ने हमारी तस्वीरें देखी हैं, हमारे ऑडियो सुने हैं या हमारी कहानियां पढ़ी हैं, और हमारी रिपोर्टिंग के आधार पर अपना मन बनाया है, इसलिए ऐसा नहीं है मानो हम किसी भी तरह से सत्य को छिपा रहे हों - उससे कोसों दूर.'
संपादक जॉन सिम्पसन के लेख में कहा गया है कि जिस तरह की चीज़ हमने देखी है उससे कोई भी समझदार व्यक्ति आश्चर्यचकित हो जाएगा. जो घटनाएं घटित हुई हैं उन्हें 'अत्याचार' कहना बिल्कुल उचित है, क्योंकि वे वास्तव में यही हैं.
कोई भी संभवतः नागरिकों, विशेष रूप से बच्चों और यहां तक कि शिशुओं की हत्या का बचाव नहीं कर सकता है - और न ही संगीत समारोह में भाग लेने वाले निर्दोष, शांतिप्रिय लोगों पर हमलों का बचाव कर सकता है.
उन्होंने लिखा कि 'पिछले 50 वर्षों के दौरान मैं मध्य पूर्व की घटनाओं पर रिपोर्टिंग कर रहा हूं, मैंने स्वयं इजरायल में इस तरह के हमलों के परिणाम देखे हैं, और मैंने लेबनान और गाजा में नागरिक ठिकानों पर इज़रायली बम और तोपखाने के हमलों के परिणाम भी देखे हैं. इस तरह की चीजों का खौफ आपके दिमाग में हमेशा बना रहता है.'