नई दिल्ली : कांग्रेस ने रविवार को आरोप लगाया कि केंद्र की मोदी सरकार आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करने की अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रही है. पार्टी ने साथ ही आरोप लगाया कि नया वन संरक्षण कानून करोड़ों 'आदिवासियों' और वन क्षेत्र में रह रहे लोगों को शक्तिविहीन कर देगा. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि हाल में जारी नए नियम केंद्र सरकार द्वारा अंतिम रूप से वन मंजूरी देने के बाद ही वन अधिकार के मुद्दे को निपटाने की अनुमति देते हैं.
उन्होंने एक बयान में कहा, 'निश्चित तौर पर यह कुछ लोगों द्वारा चुने गए 'व्यापार सुगमता' के नाम पर किया गया. लेकिन यह बड़ी आबादी की 'जीविकोपार्जन सुगमता' समाप्त करेगा.' पूर्व पर्यावरण मंत्री ने कहा कि इसने वन भूमि को किसी अन्य उपयोग के लिए इस्तेमाल के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए वन अधिकार अधिनियम-2006 के उद्देश्य और अर्थ को ही खंडित कर दिया है.
रमेश ने कहा, 'एक बार वन मंजूरी दे देने के बाद बाकी सभी चीजें महज औपचारिकता रह जाएंगी और यह लगभग तय है कि किसी भी दावे को स्वीकार नहीं किया जाएगा व उनका समाधान नहीं होगा. इसके तहत राज्य सरकारों पर केंद्र की ओर से वन भूमि को अन्य उपयोग के लिए बदलने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए अधिक दबाव बनाया जाएगा.'
रमेश ने हैशटैग आदिवासी विरोधी नरेंद्र मोदी के साथ ट्वीट किया, 'अगर मोदी सरकार द्वारा आदिवासियों के हितों की रक्षा करने और उन्हें प्रोत्साहित करने की वास्तविक मंशा दिखाई गई है तो यह फैसला है, जो करोड़ों आदिवासियों और वन क्षेत्र में रहने वाले लोगों को शक्तिविहीन बनाएगा.' उन्होंने एक मीडिया रिपोर्ट साझा करते हुए कहा कि सरकार आदिवासियों और वनवासियों की सहमति के बिना जंगलों को काटने की मंजूरी दे रही है.