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Predator Drones सौदे पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, PM Modi से मांगा स्पष्टीकरण

प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान 3 बिलियन अमरीकी डॉलर (लगभग 24 हजार करोड़ रुपये) के रक्षा सौदे की घोषणा की गई. अब इस सौदे को लेकर कांग्रेस ने कुछ गंभीर सवाल उठाये हैं. पढ़ें पूरी खबर...

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कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा

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Published : Jun 28, 2023, 1:45 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान हुए ड्रोन सौदे पर सवाल उठाया है. कांग्रेस ने कहा कि राफेल जेट सौदे के बाद पीएम मोदी को मेगा रक्षा घोटाले पर सफाई देनी चाहिए. कांग्रेस का आरोप है कि प्रीडेटर ड्रोन सौदा एक बड़ा घोटाला है. कांग्रेस ने कहा कि राफेल विमान सौदे के बाद यह दूसरा बड़ा रक्षा घोटाला है. कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बुधवार को कहा कि यह मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा और जनता के पैसे से जुड़ा है.

उन्होंने कहा कि हाल ही में ड्रोन की कीमतों को लेकर विवाद हुआ है. नतीजा ये हुआ कि सरकार को पीआईबी के जरिए स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी बयान देना पड़ा. पवन खेड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री को ड्रोन सौदे पर सफाई देनी चाहिए क्योंकि इस सौदे पर हस्ताक्षर करने वाले के लिए वह अकेले जिम्मेदार हैं. खेड़ा ने बुधवार को आरोप लगाया कि 25,000 करोड़ रुपये या 3 बिलियन डॉलर के 31 एमक्यू-9बी ड्रोन सौदे में घोटाला हुआ है. उन्होंने कहा कि भारत ने जनरल एटॉमिक्स से यह ड्रोन अन्य देशों के मुकाबले करीब दोगुनी कीमत पर खरीदा है.

कांग्रेस की आपत्तियों को छह सवालों में समझें

  1. ड्रोन सौदे को मंजूरी देने के लिए सीसीएस की बैठक क्यों नहीं हुई.
  2. भारतीय वायु सेना ने 18 ड्रोन की जरूरत बताई थी, तो फिर 31 ड्रोन क्यों खरीदे जा रहे हैं
  3. मेगा रक्षा सौदे के लिए कोई टेंडरिंग क्यों नहीं की गई.
  4. क्या इस सौदे में अमेरिकी सरकार निजी कंपनी से ड्रोन खरीद कर भारत सरकार को बेच रही है या भारत सरकार सीधे जनरल एटॉमिक्स से खरीद रही है.
  5. भारत प्रति यूनिट 110 मिलियन डॉलर की कीमत क्यों चुका रहा है, जबकि अमेरिकी सरकार ने जनरल एटॉमिक्स से वही ड्रोन 56 मिलियन डॉलर प्रति यूनिट पर खरीदे थे.
  6. भारत का रक्षा अनुसंधान विकास संगठन RUSTOM और TAPAS-BH श्रृंखला सहित ड्रोन प्रौद्योगिकियों के कई संस्करण विकसित कर रहा है. DRDO के लिए पूरी रुस्तम सीरीज की लागत लगभग 1,500 करोड़ रुपये थी. फिर जनरल एटॉमिक्स से 800 करोड़ रुपये प्रति ड्रोन के हिसाब से इतना महंगा ड्रोन खरीदने की क्या जरूरत थी.

अन्य देशों की तुलना में अधिक कीमत क्यों चुका रही है भारत सरकार
कांग्रेस नेता ने आश्चर्य जताया कि सुरक्षा पर शक्तिशाली कैबिनेट समिति ने ड्रोन सौदे को मंजूरी देने के लिए बैठक क्यों नहीं की. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि हम जानना चाहेंगे कि ड्रोन सौदे को मंजूरी देने के लिए सीसीएस की बैठक क्यों नहीं हुई. भारत सरकार उसी उत्पाद के लिए अन्य देशों की तुलना में अधिक कीमत क्यों चुका रही है. उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना ने भी महंगे ड्रोनों पर आपत्ति जताई है. उसे 31 ड्रोन दिए जा रहे हैं जबकि वायुसेना की ओर से केवल 18 ड्रोन की जरूरत बताई गई थी.

जनरल एटॉमिक्स के सीईओ का भारत सरकार के साथ क्या रिश्ता है
कांग्रेस नेता ने कहा कि इस बात का खुलासा होना चाहिए कि जनरल एटॉमिक्स के सीईओ का भारत सरकार के साथ क्या रिश्ता है. कांग्रेस नेता ने आश्चर्य जताया कि मेगा रक्षा सौदे के लिए कोई टेंडरिंग क्यों नहीं की गई. खेड़ा ने कहा कि प्रिडेटर ड्रोन सौदे के लिए कोई निविदा नहीं बुलाई गई. हमें बताया गया है कि यह सौदा सरकार से सरकार के बीच है. उस मामले में, हमें पता होना चाहिए कि क्या अमेरिकी सरकार निजी कंपनी से खरीद रही है और भारत को ड्रोन की आपूर्ति कर रही है या भारत सरकार सीधे जनरल एटॉमिक्स से खरीद रही है.

ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने रद्द कर दिया था सौदा
उन्होंने सवाल किया कि भारत प्रति यूनिट 110 मिलियन डॉलर की कीमत क्यों चुका रहा है, जबकि अमेरिकी सरकार ने जनरल एटॉमिक्स से वही ड्रोन 56 मिलियन डॉलर प्रति यूनिट पर खरीदे थे. इसके विपरीत, स्पेन को वही ड्रोन 46 मिलियन डॉलर में मिले. यूके वायु सेना ने इन्हें 12.5 मिलियन डॉलर प्रति ड्रोन के हिसाब से खरीदा. ऑस्ट्रेलियाई सरकार 137.8 मिलियन डॉलर प्रति ड्रोन के हिसाब से ड्रोन खरीदने की योजना बना रही थी, लेकिन बाद में उच्च लागत के कारण सौदा रद्द कर दिया गया. जर्मनी ने इसे 17 मिलियन डॉलर प्रति ड्रोन के हिसाब से खरीदा.

DRDO के RUSTOM श्रृंखला और TAPAS-BH श्रृंखला के ड्रोन का क्या
खेड़ा के अनुसार, भारत का रक्षा अनुसंधान विकास संगठन RUSTOM श्रृंखला और TAPAS-BH श्रृंखला सहित ड्रोन प्रौद्योगिकियों के कई संस्करण विकसित कर रहा है, जो ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए बहुत अच्छे हैं और दुश्मन के रडार द्वारा पता नहीं लगाए जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि पूरी रुस्तम सीरीज की लागत DRDO को लगभग 1,500 करोड़ रुपये थी. फिर जनरल एटॉमिक्स से 800 करोड़ रुपये प्रति ड्रोन के हिसाब से इतना महंगा ड्रोन खरीदने की क्या जरूरत थी.

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कांग्रेस ने कहा कि खेड़ा संसद के आगामी मानसून सत्र के दौरान ड्रोन डील घोटाले को उठाने की योजना बना रहे हैं और इसे लोगों के बीच भी ले जाएंगे. इससे पहले कांग्रेस ने देशभर में राफेल लड़ाकू विमान सौदे का विरोध किया था.

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