नई दिल्ली:हाल ही में बांग्लादेश ने अपनी प्रति व्यक्ति आय $ 2,227 दर्ज की है, इसने वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारत को $ 280 से पीछे छोड़ दिया है. कांग्रेस पार्टी ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर 'गलत फैसले' लेने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने कहा कि गलत फैसले की वजह से ही भारतीय अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है. सरकार के गलत फैसलों से हमने जीवन और आजीविका दोनों खो दिए.
भारत की प्रति व्यक्ति आय $ 1,947 है, जो सर्वव्यापी महामारी कोरोना वायरस से भी प्रभावित हुई है. कोविड के कारण राष्ट्रव्यापी तालाबंदी ने आर्थिक विकास में एक विरोधाभास पैदा कर दिया है, जिसके कारण कांग्रेस ने केंद्र पर इस देश के जीवन और आजीविका दोनों को खोने का आरोप लगाते हुए तीखा हमला किया.
'ईटीवी भारत' से बात करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता और आर्थिक विशेषज्ञ प्रोफेसर गौरव वल्लभ ने बताया, 2016-17 तक हमारी जीडीपी 8.3 प्रतिशत की दर से बढ़ रही थी, लेकिन अचानक सरकार ने विमुद्रीकरण का निर्णय लिया, जिसके परिणामस्वरूप हमारी जीडीपी 2017-18 में घटकर 7 रह गई.
उन्होंने कहा कि 2018-19 और 2019-20 के लगातार दो वर्षों में, यह क्रमशः 6.1 प्रतिशत और 4.2 प्रतिशत तक गिर गई. उसके बाद, हमारा देश महामारी की चपेट में आ गया.
गौरव वल्लभ का कहना है कि लेकिन सवाल यह उठता है कि इस महामारी से पहले हमारी जीडीपी में लगातार गिरावट क्यों आ रही थी. इसका कारण यह है कि विमुद्रीकरण ने पूरे अनौपचारिक क्षेत्र को नष्ट कर दिया. दूसरे अनियोजित जीडीपी ने हमारे संगठित क्षेत्र को इतनी बुरी तरह प्रभावित किया है कि यह अभी भी सुधर नहीं कर पा रहा है.
विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने 21 मई को प्रति मिलियन जनसंख्या पर भारत की वार्षिक जीडीपी वृद्धि और कोविड -19 मौतों को दर्शाने वाले आंकड़ों का एक चार्ट साझा किया है.
इस चार्ट का हवाला देते हुए प्रोफेसर वल्लभ ने आरोप लगाया, 'यह सब एक देशव्यापी तालाबंदी के बाद हुआ, जिसकी घोषणा 4 साल की पूर्व सूचना पर की जा रही थी. आप इस लॉकडाउन के आर्थिक प्रभाव को तब समझ पाएंगे जब आप वर्ष 2020 के दौरान बांग्लादेश-भारत की जीडीपी की तुलना करेंगे. भारत की जीडीपी -8% थी जबकि बांग्लादेश की जीडीपी 3.8% थी. क्योंकि पीएम 'जान है तो जहान है' कहते थे, इसलिए आजीविका का यही हुआ.