जयपुर.18वीं ऑल इंडिया लीगल सर्विस अथॉरिटी मीट (All India Legal Service Authority Meet) का रविवार को समापन हुआ. समापन सत्र में नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित ने साल 2047 के लक्ष्यों को सबके सामने रखा. नालसा ने प्राइमरी एजुकेशन हर बच्चे का अधिकार होने, बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलने, देश के हर व्यक्ति को प्राइमरी हैल्थ केयर सुविधा उपलब्ध होने जैसे लक्ष्य तय किए हैं. इस दौरान यह भी लक्ष्य रखा गया कि देश का कोई भी व्यक्ति उसके मौलिक व न्यायिक अधिकार से वंचित ना रहे. आगामी 25 सालों में इन लक्ष्यों को पूरी तरह से हासिल करने की उम्मीद जताई. वहीं समापन समारोह में राजस्थान सीजे एसएस शिंदे का एक बयान बड़ा सवाल छोड़ गया.
पहली बार नालसा की राष्ट्रीय मीट की मेजबानी राजस्थान को मिली. दो दिन तक देश की न्यायपालिका ने जयपुर में विधिक सेवा के प्रचार-प्रसार और इसके आगामी लक्ष्य को तय करने पर विचार विमर्श किया. मीट का उद्घाटन सीजेआई एनवी रमना, देश के कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने किया था. इस मौके पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी मौजूद रहे. दो दिन तक चली इस मीट में 25 साल की हो चुकी विधिक सेवा के आगामी 25 साल यानि साल 2047 के लक्ष्य तय किए गए. नेशनल मीट की मेजबानी करने वाले राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसएस शिंदे ने कहा कि दो दिवसीय मीट के मौके पर देश की ज्यूडिशियरी ने राजस्थान की मेहमान नवाजी को देखा और यहां की संस्कृति से भी रूबरू हुए. उन्होंने कहा कि मीट में प्रदेश में बालिका शिक्षा, बाल विवाह और मृत्यु भोज जैसे विषयों को भी शामिल किया गया. वहीं उनमें सुधार को लेकर भी चर्चा हुई.
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