मुंबई : भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को यहां कहा कि किसी न्यायाधीश का कौशल संविधान की आत्मा अक्षुण्ण रखते हुए बदलते समय के साथ उसकी व्याख्या करने में निहित है. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि जब आगे का रास्ता जटिल होता है तो भारतीय संविधान की मूल संरचना अपने व्याख्याताओं और कार्यान्वयन करने वालों को मार्गदर्शन और निश्चित दिशा दिखाती है. उन्होंने कहा कि हाल के दशकों में 'नियमों का गला घोंटने, उपभोक्ता कल्याण को बढ़ावा देने और वाणिज्यिक लेनदेन का समर्थन करने' के पक्ष में भारत के कानूनी परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है.
प्रधान न्यायाधीश यहां नानी ए. पालकीवाला स्मृति व्याख्यान में बोल रहे थे. उन्होंने कहा, 'हमारे संविधान की मूल संरचना ध्रुव तारा की तरह मार्गदर्शन करती है और संविधान की व्याख्या करने वालों तथा कार्यान्वयन करने वालों को उस वक्त एक निश्चित दिशा देती है जब आगे का मार्ग जटिल होता है. हमारे संविधान की मूल संरचना या दर्शन संविधान की सर्वोच्चता, कानून का शासन, शक्तियों के पृथक्करण, न्यायिक समीक्षा, धर्मनिरपेक्षता, संघवाद, स्वतंत्रता और व्यक्ति की गरिमा तथा राष्ट्र की एकता एवं अखंडता पर आधारित है.'