नई दिल्ली :जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर बहुत अधिक निर्भर करती है, इसलिए पर्यटन पर जी20 बैठक करने के लिए यह उपयुक्त स्थान है. हालांकि जी20 में भाग लेना या नहीं लेना यह देशों की अपनी पसंद है, लेकिन जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. उक्त बातें भारत की पूर्व राजदूत मीरा शंकर (Indias former ambassador Meera Shankar) ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहीं. चीन के अलावा कई देशों द्वारा विरोध और बहिष्कार के बीच जम्मू-कश्मीर में चल रही जी20 बैठक पर उन्होंने कहा, 'जिन देशों ने बहिष्कार किया है या जी20 में शामिल नहीं होने का फैसला किया है, वे बहुत मुट्ठी भर हैं और यह उनकी पसंद है. लेकिन जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत की स्थिति स्पष्ट रही है.' उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर बहुत अधिक निर्भर करती है, इसलिए यह पर्यटन पर जी20 बैठक करने के लिए उपयुक्त स्थानों में से एक है.
हालांकि जम्मू-कश्मीर में जी20 की मेजबानी करने वाले भारत की कूटनीतिक रूप से काफी आलोचना हुई थी. वहीं चीन, पाकिस्तान, सऊदी अरब, तुर्की और मिस्र सहित कई देशों ने श्रीनगर में बैठक में भाग लेने का या तो विरोध किया या भाग नहीं लिया. दूसरी तरफ तुर्की ने कश्मीर मुद्दे पर लगातार पाकिस्तान की ओर झुकाव दिखाया है और समय-समय पर इस मामले को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया है.
इस बीच, पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो (Pakistan Foreign Minister Bilawal Bhutto) पीओके के मुजफ्फराबाद शहर में भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर में जी20 पर्यटन बैठक की मेजबानी करने के विरोध में मौजूद हैं. यहां पर उन्होंने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है. भुट्टो ने कहा कि भारत जी20 सम्मेलन के जरिए कश्मीरियों की आवाज को दबा नहीं सकता है. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का उल्लंघन कर भारत विश्व में प्रभावी भूमिका नहीं निभा सकता. इस संबंध में पाकिस्तान ने उन देशों को भी लिखा है जो इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) का हिस्सा हैं. पाकिस्तान ने उनसे श्रीनगर में जी20 पर्यटन कार्य समूह की बैठक का बहिष्कार करने की बात कही है.
यह पूछे जाने पर कि क्या जम्मू-कश्मीर में जी20 बैठक का बहिष्कार करने वाले देशों से भारत की छवि विश्व स्तर पर और जी20 की अध्यक्षता प्रभावित होगी, इस पर पूर्व राजनयिक मीरा शंकर ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि इसका प्रभाव पड़ेगा क्योंकि भारत की जी20 अध्यक्षता के अपने पथ पर अग्रसर है और शिखर सम्मेलन आयोजित होने तक जारी रखेगा.' उन्होंने कहा कि अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्दे वैश्विक समुदाय के लिए कहीं अधिक चिंता का विषय हैं, चाहे वह जलवायु परिवर्तन हो या विकासशील देशों की ऋणग्रस्तता या भोजन, उर्वरक और ऊर्जा की कमी आदि.