नई दिल्ली : चीन के साथ तनाव के बीच पाकिस्तान की तरफ से आने वाले 'मेड-इन-चाइना' ड्रोन नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर भारतीय सुरक्षा बलों और सेना के लिए एक नई चुनौती पेश कर रहे हैं.
आमतौर पर जम्मू-कश्मीर के साथ सीमावर्ती इलाकों में हथियारों और ड्रग्स की तस्करी सर्दी की शुरुआत के साथ ही रुक जाती है, क्योंकि भारी बर्फबारी के साथ कई इलाकों में 40-50 फीट तक बर्फ जम जाती है.
अब कश्मीर में हथियार सप्लाई वाले अभियानों के लिए बर्फ कोई बाधा नहीं है, क्योंकि ड्रोन से हथियार भेजे जा सकते हैं. इससे हथियारों की उपलब्धता बढ़ी है और नशीली दवाओं की खेप भी पहुंच रही है, जिनका उपयोग उग्रवादी आंदोलन को फंड देने के लिए किया जाता है.
आतंकवाद रोधी अभियान के बाद कश्मीर में आतंकवादियों के पास हथियार, गोला-बारूद और अन्य युद्धक सामग्री के लिए धन की कमी हो रही है.
हथियारों के परिवहन, ड्रग्स की तस्करी और रसद के साथ सीमा पार से आतंकवादियों की घुसपैठ में मदद करने के लिए ड्रोन के उपयोग में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि हुई है.
ये 'हेक्साकॉप्टर' ड्रोन खुले बाजार में स्वतंत्र रूप से पाए जाते हैं और इन्हें कोई भी खरीद सकता है.
इनमें से प्रत्येक ड्रोन एकल हथियार छोड़ने वाले ऑपरेशन में कई बंदूकें या कई किलो ड्रग्स ले जा सकते हैं. इसके अलावा भारतीय सैनिकों की तैनाती या उच्च रिज़ॉल्यूशन कैमरों के माध्यम से सीमा सुरक्षा ग्रिड का पता लगाने में मदद करते हैं, जो भारत में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे एक आतंकवादी के लिए महत्वपूर्ण जानकारी है.