तिरुवनंतपुरम :केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने राज्य विधानसभा को बताया कि सरकार ने वायरस के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से विस्तृत चिंतन के बाद नए निर्देशों पर निर्णय लिया है. कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्ष ने इसका विरोध किया है.
उन्होंने कहा कि उच्च जनसंख्या घनत्व, जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां और बुजुर्गों की बढ़ती संख्या राज्य में फैले कोविड के संबंध में चिंता का प्रमुख कारण है. हालांकि लॉकडाउन प्रतिबंध हटा दिए गए हैं. सरकार इन कारणों से अन्य सरलीकृत प्रतिबंधों को जारी रखने के लिए मजबूर है. सरकार की मुख्य जिम्मेदारी लोगों की रक्षा करना है.
वे शून्यकाल के दौरान बोल रही थीं, जब विपक्ष ने नए प्रतिबंधों पर एक स्थगन प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया और आरोप लगाया कि ये अव्यावहारिक है. प्रतिबंधों में ढील के संबंध में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि लोगों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बाद ही लॉकडाउन प्रतिबंधों में कोई ढील दी जानी चाहिए.
विपक्ष की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि इसका विरोध करने वालों का एकमात्र उद्देश्य सरकार की छवि खराब करना है, भले ही बीमारी का प्रसार तेज हो गया हो. उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में सरकार के लिए एक बार में सभी प्रतिबंधों को हटाना संभव नहीं होगा. उन्होंने कहा और विपक्ष को याद दिलाया कि अगर बिना किसी प्रतिबंध के जाने का फैसला किया गया तो यह राज्य को महंगा पड़ सकता है.
उसने यह भी स्पष्ट किया कि प्रतिबंध हमेशा के लिए जारी रखने के लिए नहीं हैं. राज्य में अब तक 34 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं और 17000 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, मंत्री ने राज्य में कोविड की स्थिति का विवरण देते हुए यह कहा.
नोटिस देने वाले के बाबू (कांग्रेस) ने कहा कि अगर नया आदेश लागू होता है तो बुजुर्ग लोग घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने घरों से बाहर निकलने को मजबूर होंगे. उन्होंने कहा कि राज्य में टीके लेने वालों में ज्यादातर बुजुर्ग हैं और राज्य में अब तक केवल 28 प्रतिशत युवाओं को ही टीके मिले हैं.