नई दिल्ली : केंद्र ने किसी भी राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा देने के मामले कोई प्रतिबद्धता नहीं जताते हुए बुधवार कहा कि 14वें वित्त आयोग ने सामान्य श्रेणी और विशेष श्रेणी के राज्यों के बीच कोई अंतर नहीं किया है और इसने सभी राज्यों के साथ साझा करने योग्य निवल करों में पर्याप्त वृद्धि की है. वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य वी विजयसाई रेड्डी ने प्रश्न किया था कि क्या सरकार ने घोषणा की है कि अब से किसी भी राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा नहीं दिया जाएगा. इस प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा को यह जानकारी दी.
राय ने कहा, "चौदहवें वित्त आयोग (एफएफसी) ने राज्यों के बीच साझा करने योग्य करों के वितरण में सामान्य श्रेणी के राज्यों और विशेष श्रेणी के राज्यों के बीच कोई अंतर नहीं किया था." मंत्री ने कहा कि एफएफसी की सिफारिशों के अनुसार, केंद्र सरकार ने वर्ष 2015-20 की अवधि के लिए राज्यों को निवल साझा करों का हिस्सा 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने का फैसला किया था. उन्होंने कहा कि वर्ष 2020-21 और वर्ष 2021-26 की अवधि के लिए पंद्रहवें वित्त आयोग द्वारा समान 41 प्रतिशत (जम्मू और कश्मीर के केन्द्र शासित प्रदेश बनाने के लिए एक प्रतिशत के समायोजन के कारण) को बरकरार रखा गया है.