शिमला:हिमाचल के सेब उत्पादक लंबे वक्त से दूसरे देशों से आयात होने वाले सेब पर 100 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगाने की मांग कर रहे हैं, जो फिलहाल 50% है. इस बीच केंद्र सरकार ने सोमवार को दूसरे देशों से आयात होने वाले सेब की न्यूनतम कीमत 50 रुपये कर दी है. यानी 50 रुपये से कम कीमत वाले सेब के आयात पर रोक लगा दी गई. विदेशों से हर साल भारी मात्रा में सेब भारत पहुंचता है. इनमें से अधिकतर देशों से सस्ता सेब आयात होता है, जिससे देश के सेब बागवानों को नुकसान उठाना पड़ता है. केंद्र सरकार के इस फैसले से विदेशों से सेब का आयात कम होने या आयात होने वाले सेब की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है.
भारत में सेब उत्पादन- भारत में सेब का सबसे ज्यादा उत्पादन जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में होता है. हालांकि सेब उत्पादन के मामले में इन दो टॉप राज्यों में ही बड़ा अंतर है. राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के मुताबिक साल 2021-22 में जम्मू कश्मीर में 17 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन हुआ वहीं 6.43 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन हुआ. सेब उत्पादन में तीसरे नंबर पर उत्तराखंड है, जहां 64 हजार मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ. इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, तमिलनाडु में भी कम मात्रा में ही सही सेब का उत्पादन होता है. इन आंकड़ों के मुताबिक साल 2021-22 में देशभर में 25 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन हुआ.
सेब आयात का गणित- दुनियाभर के कई देशों से सेब भारत में आयात होता है. देश में हर साल सेब का आयात बढ़ता जा रहा है. वाणिज्य मंत्रालय के आकड़ों के मुताबिक देश में साल 2019 में 2.62 लाख मीट्रिक टन सेब का आयात हुआ जबकि 2020 में 2.72 लाख मीट्रिक सेब विदेशों से भारत में पहुंचा. इसके बाद साल 2021 में देश में कुल 4.59 लाख मीट्रिक टन सेब आयात हुआ. ये आंकड़ा हिमाचल में होने वाले औसतन सालाना सेब उत्पादन के बराबर है. यानी सेब का जितना औसत उत्पादन हिमाचल में होता है उतना सेब भारत में आयात हो रहा है. जबकि हिमाचल देश का दूसरा सबसे बड़ा सेब उत्पादक राज्य है.
कहां-कहां से भारत आता है सेब- चीन दुनिया का सबसे बड़ा सेब उत्पादक है लेकिन भारत-चीन के रिश्तों में पड़ी खटास का असर सेब के आयात पर भी पड़ा है. फिलहाल भारत 6 देशों से सबसे ज्यादा सेब आयात करता है. कुल सेब में से 25 फीसदी सेब का आयात अकेले चिली से होता है. इसके बाद न्यूजीलैंड, तुर्की और इटली का नंबर आता है. इसके अलावा भारत अफगानिस्तान से लेकर यूएई, यूएसए समेत कई देशों से सेब आयात करता है. आंकड़े बताते हैं कि साल दर साल सेब का आयात बढ़ा है और 2019 के मुकाबले 2021 में सेब का 42% अधिक आयात हुआ है. यही आंकड़ा सेब बागवानों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत है जो हर साल बढ़ता जा रहा है.
अवैध रूप से भी भारत आता है सेब- संयुक्त किसान मंच हिमाचल के संयोजक हरीश चौहान के मुताबिक अफगानिस्तान के साथ भारत का फ्री ट्रेड एग्रीमेंट है. इसलिए वहां से आने वाले सेब पर कोई आयात शुल्क नहीं लिया जाता. लेकिन इसका फायदा दूसरे देश उठा रहे हैं. ये देश अफगानिस्तान के रास्ते सस्ता सेब भारत में भेज रहे हैं. आयातित सेब की वजह से हिमाचल के बागवान सीए स्टोर का सेब नहीं बेच पाते. इससे बागवानों पर तो मार पड़ ही रही है, साथ में सरकार को राजस्व हानि हो रही है. इसी तरह ईरान से सस्ता सेब देश में आ रहा है. अमेरिका ने ईरान के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखे है. इस वजह से ईरान सस्ते दाम पर सेब देने को तैयार है, बताया जा रहा है कि पिछले साल 25 रुपए प्रति किलो के हिसाब से ईरान का सेब भारत पहुंचा. इससे यहां के सेब बागवानों को भी नुकसान उठाना पड़ा है.
सेब बागवानों की मांग- साफ है कि हिमाचल, जम्मू कश्मीर का सेब विदेश से आयात हुए सस्ते सेब का मुकाबला नहीं कर सकता. इन देशों से सेब आयात होने पर मार्केट में वह सस्ता बिकता है और भारत का सेब महंगा बिकता है. जिसका सीधा नुकसान बागवानों को होता है. देशभर के सेब उत्पादकों की लंबे अरसे से मांग रही है कि विदेशों से आयात होने वाले सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी 100 फीसदी कर दी जाए, जो फिलहाल 50% है. दुनिया के कई देशों से भारत में सेब का लगातार आयात हो रहा है. इससे देश की मार्केट विदेशी सेब से भर जाती हैं और इसका असर भारतीय सेब पर पड़ता है. विदेशी सेब के आयात से हिमाचल और जम्मू कश्मीर के सेब उत्पादकों को नुकसान होता है और उन्हें सेब के कम दाम मिलते हैं. केंद्र सरकार ने इंपोर्ट ड्यूटी तो नहीं बढ़ाई है लेकिन आयात होने वाले सेब के दाम न्यूनतम 50 रुपये प्रति किलो तय कर दिए हैं. जिससे बागवानों को बड़ी राहत मिल सकती है.