मुजफ्फरपुर:बिहार के मुजफ्फरपुर में पंजाब नेशनल बैंक साइबर फ्रॉड (Punjab National Bank Cyber Fraud in Muzaffarpur) की जांच सीबीआई को सौंपने की तैयारी चल रही है. जिले के सदर थाना क्षेत्र के एमपीएस साइंस कॉलेज शाखा से बैंक कर्मियों और साइबर अपराधियों की मिली भगत से करोड़ों रुपए के साइबर फ्रॉड (Cyber Fraud in Bihar) का मामला सामने आया. अब इसकी जांच सीबीआई करेगी. आरबीआई की गाइडलाइन के अनुसार 3 करोड़ रुपए से ऊपर की राशि के गबन या हेराफेरी की जांच सर्वोच्च जांच एजेंसी को करनी है.
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बता दें कि बीते 14 अगस्त 2021 को मुजफ्फरपुर एसएसपी जयंतकांत ने बड़े साइबर फ्रॉड गिरोह का खुलासा किया था. जिसमें पुलिस की टीम ने करीब 5 करोड़ रुपए के फ्रॉड का खुलासा किया था. इस गिरोह के पास से 11.24 लाख कैश, 12 मोबाइल, 12 पासबुक, तीन लैपटॉप, एक कार, 20 आधार कार्ड, सात पैन कार्ड और पोस मशीन बरामद की थी. गिरफ्तार अपराधियों में बैंककर्मी के अलावा कुढ़नी पुपरी का मंजय कुमार सिंह, अहियापुर कोल्हुआ पैगम्बरपुर का मोहम्मद जफर इकबाल और वैशाली जिले के पातेपुर लहलादपुर का राजेश कुमार शामिल था.
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''22 घोस्ट खातों को बंद किया गया है. इसमें 82 लाख 43 हजार 615 रुपए थे. इसके अलावा और भी खातों की जानकारी मिली है. सभी खातों को बंद किया जा रहा है. पिछले दिनों टाउन थाना में एक केस दर्ज हुआ था. इसमें रिटायर्ड बीएसएनएल कर्मी रामदेव राम के खाते से इसी गिरोह ने 22 लाख 40 हजार रुपए उड़ा लिए थे. इसके बाद अनुसंधान शुरू हुआ, फिर कड़ी से कड़ी जुड़ती गई और एक-एक कर सभी पकड़े गए, अनुसंधान अभी जारी है. यह राज्य में अबतक का सबसे बड़ा साइबर फ्रॉड है. जिसे बैंक कर्मियों की मिली भगत से संचालित किया जा रहा था. कुल मिलाकर लगभग आंकड़ा 5 करोड़ के आसपास या इससे ज्यादा हो सकता है.''-जयंतकांत, एसएसपी, मुजफ्फरपुर
बैंक कर्मियों के साथ मिलकर ऐसे करते थे साइबर फ्रॉड
बैंक में मोटी रकम रखने वाले खाता धारकों की तलाश: पीएनबी के सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी का फायदा उठाकर कैशियर बैंक के दूसरे ग्राहकों की पूरी जानकारी पता कर लेता था. कैशियर मोटी रकमवाले खाता धारकों की तलाश करने के बाद पूरा डिटेल फ्रॉड को पहुंचाता था. इसमें मोबाइल व आधार नंबर, खाते का की रकम, खाताधारक का पूरा पता होता था.
फर्जी आधार कार्ड तैयार करना: कैशियर द्वारा खाताधारक की पूरी जानकारी उपलब्ध कराने के बाद फ्रॉड उसका फर्जी आइ कार्ड बनाता था. इसमें सारी जानकारी खाताधारक की होती थी. लेकिन, फोटो फर्जी आदमी का रहता था. मोबाइल नंबर भी फर्जी होता था. फर्जी आधार कार्ड के सहारे फ्रॉड खाता में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर का दूसरे कंपनी के मोबाइल नंबर में सिम पोर्ट करा देता था. इसमें फ्रॉड फर्जी हस्ताक्षर और फोटो लगा देता था.
पोर्ट सिम का करते थे इस्तेमाल : पोर्ट कराये गये सिम का इस्तेमाल करके फ्रॉड पीएनबी का ऑनलाइन मोबाइल एप (वन मोबाइल एप) डाउनलोड कर लेते थे. जिस खाते में पैसा ट्रांसफर करना है उसे टैग करके फ्रॉड किया जाता था. बंगाल और बैंगलुरु के साइबर फ्रॉड के फर्जी अकाउंट (घोस्ट अकाउंट) में पैसे ट्रांसफर होने के बाद ये शातिर एक दिन में एनआरटीजीएस के माध्यम से 10 लाख रुपए का तक ट्रांजेक्शन करते थे.
40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को करते थे टारगेट: यह गिरोह 40 साल से ऊपर के उम्र के लोगों को टारगेट करता था. इसमें रिटायर्ड प्रोफेसर, बिजनेसमैन, रेलकर्मी, बैंककर्मी, ठेकेदार समेत अन्य सरकारी व प्राइवेट लोगों को टारगेट कर उनके खाते से फ्राॅड करते थे.
पूरे मामले में अब सूत्रों की माने तो बैंक से गोपनीय रिपोर्ट संबंधित उच्चाधिकारियों ने तलब की है. जानकारी के अनुसार आरबीआई की गाइडलाइंस के अनुसार तीन करोड़ के ऊपर का बैंक फ्रॉड की जांच पड़ताल सर्वोच्च जांच एजेंसी यानी सीबीआई करेगी. ऐसे में कहा जा सकता है कि बिहार के मुजफ्फरपुर में हुए सूबे के सबसे बड़े पीएनबी साइबर फ्रॉड केस की जांच मामले में अब और भी बैंक कर्मियों और साइबर अपराधियों की कुंडली खंगाली जाएगी.
वहीं पूरे मामले में पूछे जाने पर एसएसपी जयंतकांत ने कहा कि हमारी पुलिस की टीम ने अच्छी कार्रवाई की थी. जांच पड़ताल भी कर रही है. अगर विभागीय दिशा निर्देश कुछ भी आता है या फिर इस केस की तहकीकात का जिम्मा जिसे भी सौंपा जाएगा, पुलिस की टीम हर संभव मदद करेगी.