नई दिल्ली: संसदीय समिति द्वारा सरकार को कैंसर की दवाओं से जीएसटी माफ करने के सुझाव के एक दिन बाद, कैंसर के मुद्दे से निपटने वाले संस्थानों ने मंगलवार को इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में इस बीमारी से लड़ने के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान जरूरी है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर एक संसदीय समिति ने मंगलवार को 'कैंसर के इलाज की वहनीयता' विषय पर हितधारकों के विचार सुने. इसी मुद्दे पर संसदीय समिति ने सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण से राय ली.
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मंगलवार की बैठक के दौरान विज्ञान भवन एनेक्स्यू में, राष्ट्रीय कैंसर संस्थान, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (झज्जर), डॉ. बी बरुआ कैंसर संस्थान (गुवाहाटी), चित्तरंजन राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (कोलकाता), राष्ट्रीय कैंसर निवारण संस्थान एवं अनुसंधान (गौतमबुद्धनगर) जैसे प्रमुख हितधारक बैठक में उपस्थित थे. इन संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी कैंसर को 'सूचित रोग' की श्रेणी में रखने की मांग की. इस बीच, केंद्र ने राज्यों से कोविड मामलों में वृद्धि की रिपोर्ट करने के लिए सतर्कता बढ़ाने और मामलों की शीघ्र पहचान और रिपोर्टिंग के लिए प्रहरी निगरानी पर निरंतर और सक्रिय ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया।