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कलकत्ता उच्च न्यायालय ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को 20 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक बीमा कंपनी को मृतक के परिवार को मुआवजे के रूप में 20 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है. न्यायमूर्ति रवींद्रनाथ सामंत ने यह निर्देश नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को दिया.

Calcutta High Court directs National Insurance Co to pay Rs 20 lakh compensation
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को 20 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया

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Published : Jun 29, 2022, 12:03 PM IST

कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक बीमा कंपनी को मृतक के परिवार को मुआवजे के रूप में 20 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है. न्यायमूर्ति रवींद्रनाथ सामंत ने यह निर्देश नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को दिया. हाईकोर्ट के सूत्रों के मुताबिक पश्चिम बर्दवान निवासी नारायण चंद्र गोराई 21 दिसंबर 2010 की शाम को अपनी टैक्सी से रानीगंज से लौट रहे थे. उसी समय एक ट्रक राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 2 के कल्ला बाईपास के किनारे आकर टकरा गया. उसे तुरंत स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया. बाद में उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें दुर्गापुर मिशन अस्पताल में रेफर कर दिया गया.

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लंबे समय तक इलाज के बाद उसकी मौत हो गई. तब वे 58 वर्ष के थे. उनका कार का कारोबार था, जिससे वे सालाना करीब 2 लाख रुपये कमाते थे. परिवार में उनकी पत्नी कल्याणी गोराई के अलावा उनके दो बेटे हैं. नतीजतन, गोराई परिवार उनकी मृत्यु के बाद मुसीबत में पड़ गया क्योंकि वह परिवार में एकमात्र कमाने वाले थे. 2012 में, आसनसोल मोटर दुर्घटना न्यायाधिकरण -1 ने राष्ट्रीय बीमा कंपनी को गोराई परिवार को 8 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ 12,052,792 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया. लेकिन नेशनल इंश्योरेंस कंपनी ने पैसा देने के बजाय कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

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कंपनी ने दावा किया कि दुर्घटना के दिन लॉरी चलाने वाले व्यक्ति के पास वैध लाइसेंस नहीं था. साथ ही चालक की लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ. तो, पैसे का भुगतान लॉरी के मालिक कालीसाधन गोस्वामी को करना पड़ता है क्योंकि कालीसाधन गोस्वामी ने एक व्यक्ति को कार दी थी जबकि उसके पास लाइसेंस नहीं था. लेकिन गोराई परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील अमित रंजन रॉय ने अदालत को बताया कि ट्रिब्यूनल ने सभी दस्तावेजों की जांच के बाद आदेश जारी किया था. न्यायमूर्ति रवींद्रनाथ सामंत ने दोनों पक्षों के बयानों को सुनने के बाद निर्देश दिया कि वह मोटर ट्रिब्यूनल के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेंगे. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को तीन सप्ताह के भीतर गोराई परिवार को करीब 20 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया.

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