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कलकत्ता उच्च न्यायालय के कुछ वकीलों ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अदालत के सामने किया प्रदर्शन - डिजिटल सुनवाई

न्यायाधीशों को मामलों के आवंटन पर स्पष्टता की मांग करते हुए वकीलों के एक समूह ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के सामने प्रदर्शन किया. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jul 28, 2021, 8:07 PM IST

कोलकाता :वकीलों के एक समूह ने न्यायाधीशों को मामलों के आवंटन पर स्पष्टता की मांग करते हुए बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अदालत के सामने कुछ समय के लिए प्रदर्शन किया जबकि कलकत्ता हाईकोर्ट बार एसोसएिशन ने पहले की तरह सभी अदालतों के सामने अपने मामलों में वकालत जारी रखने का एक प्रस्ताव पारित किया.

प्रदर्शनकारी वकीलों ने मामलों की डिजिटल सुनवाई के लिए उच्च न्यायालय में जरूरी सुविधाओं की कथित कमी का भी आरोप लगाया. वे मंगलवार दोपहर से कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अदालत की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले रहे हैं.

कुछ प्रदर्शनकारी वकीलों ने अल्प अवधि के लिए उस समय प्रदर्शन किया जब कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा पर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.

इस प्रदर्शन का आह्वान उच्च न्यायालय में वकीलों का प्रतिनिधित्व करने वाले तीन एसोसिएशनों-- बार एसोसिएशन, बार लाईब्रेरी क्लब और इनकोर्पोरेटेड लॉ सोसायटी में से किसी ने नहीं किया था.

कलकत्ता हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने मंगलवार शाम को डिजिटल तरीके से बुलायी गयी आम सभा की बैठक में प्रस्ताव पारित किया कि उसके सदस्य उच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीशों की अदालतों में कार्यवाही में हिस्सा लेंगे.

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यह कहा गया कि जब अदालतों के सामान्य कामकाज के लिए स्थिति बहाल हो रही है तो ' बार के सदस्यों को किसी भी माननीय न्यायाधीशों के सामने न्यायिक कार्यवाही से गैरहाजिर नहीं रहना चाहिए.'

बार एसोसिएशन के फैसले का स्वागत करते हुए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ट्वीट किया, ' संवाद और चर्चा संविधानवाद एवं कानून के शासन के मूलतत्व हैं और ये दोनों ही लोकतांत्रिक मूल्यों को अक्षुण्ण रखने के लिए अहम हैं.'

कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश की अदालत की न्यायिक कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेने वकीलों का आरोप था कि 'कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के प्रशासनिक फैसले अपीलीय पक्ष नियमों का उल्लंघन ' हैं और मुकदमों की डिजिटल सुनवाई के लिए सुविधाओं की कमी है.

(पीटीआई-भाषा)

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