सर्व सेवा संघ भवन पर चला बुलडोजर. वाराणसी :महात्मा गांधी, विनोबा भावे और जयप्रकाश की विरासत सर्व सेवा संघ भवन पर कार्रवाई की गई. बुलडोजर से अभी तक 12 भवनों को ध्वस्त करा दिया गया. अभी भी कार्रवाई जारी है. सर्व सेवा संघ का रेलवे के साथ जमीन का विवाद चल रहा था. मामले में जिला मजिस्ट्रेट के आदेश पर रेलवे को बड़ी राहत मिली थी. इसके बाद परिसर को खाली करा लिया गया था. शनिवार को ध्वस्तीकरण का काम शुरू हो गया. प्रशासन की ओर से परिसर में मौजूद अलग-अलग बिल्डिंगों को गिराया जा रहा है. विरोध में लोगों ने जमकर प्रदर्शन किया. करीब 10 लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है.
वाराणसी प्रशासन राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ परिसर में रेलवे को कब्जा दिला रहा है. संघ के तमाम दावों के बीच प्रशासन का कहना है कि इनके पास कोई जमीन के पुख्ता कागजात नहीं हैं. ऐसे में रेलवे ने इस जमीन पर अपना दावा किया है. परिसर में बनी बिल्डिंग को पहले ही खाली करा लिया गया था. अब इनके ध्वस्तीकरण का काम किया जा रहा है. यह परिसर करीब 8.7 एकड़ में फैला हुआ है.
कई लोगों को हिरासत में लिया गया है. कई दलों के नेता और सामाजिक कार्यकर्ता पहुंचे :सर्व सेवा संघ के परिसर में ध्वस्तीकरण के काम को रोकने के लिए तमाम दलों के नेता और सामाजिक कार्यकर्ता पहुंच गए. उनका कहना है कि सरकार जबरदस्ती यह कार्रवाई कर रही है. दो दिन पहले ही किसान नेता राकेश टिकैत और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर भी वाराणसी पहुंचे थे. मेधा को परिसर में जाने से रोक दिया गया था, जबकि राकेश टिकैत यहां पर नहीं आए थे. इन्होंने इस कार्रवाई का विरोध जताया था.
कई लोगों को हिरासत में लिया गया है. एक नजर बीते दिनों से शुरू हुए विवाद पर :2020 में यह विवाद फिर शुरू हुआ, जब कॉरिडोर को लेकर के विकास की रणनीति बनाई गई. बीते दिन सर्व सेवा संघ और उत्तर रेलवे के बीच मालिकाना हक को लेकर के वाराणसी जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने सुनवाई करते हुए रेलवे के हक में फैसला दे दिया. उन्होंने बाकायदा संघ के भवन को अवैध घोषित करते हुए जमीन को खाली कराने का निर्देश दे दिया. इसके बाद रेलवे प्रशासन ने 30 जून को संघ भवन को ध्वस्त करने की तिथि भी निर्धारित कर दी थी. इसके बाद वहां मौजूद लोगों ने विरोध प्रदर्शन कर दिया. लोगों ने जिला प्रशासन के फैसले पर आपत्ति जताते हुए हाईकोर्ट में वाद दाखिल किया. हाईकोर्ट ने इस वाद को खारिज करते हुए मामले की सुनवाई निचली कोर्ट में करने का आदेश दिया. इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का भी रुख किया. वहां भी विशेष खंडपीठ के जस्टिस ऋषिकेश राय और जस्टिस पंकज मित्तल ने वादी पक्ष की याचिका खारिज कर दी थी.
प्रदर्शन कर रहे कई लोग भवनों को गिरता देख रो पड़े. प्रियंका गांधी समेत कई ने जताया विरोध :मामले में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, राकेश टिकैत, मेधा पाटकर, योगेंद्र यादव अपना विरोध जता चुके हैं. बीते दिन सोशल मीडिया के माध्यम से प्रियंका गांधी ने सर्व सेवा संघ परिसर को ढहाने की कार्रवाई को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विरासत पर हमला बताया था. उन्होंने इसके विरोध में खड़े रहने की बात कही थी. एक दिन पूर्व किसान नेता राकेश टिकैत व अन्य सामाजिक संस्थाओं से जुड़े लोगों ने जनसभा के जरिए इसका विरोध किया था.
सरकार पर फर्जी दस्तावेज बनाने का आरोप :सर्व सेवा संघ से जुड़े हुए राम धीरज ने बताया कि सेवा भवन को तोड़ना सरकार की साजिश है. हमने रेलवे से 3 भाग में 1960, 61 और 1970 ने यह जमीन खरीदी थी. हमारे पास ट्रेजरी फंड में जमा किए गए पैसों की रसीद व तमाम दस्तावेज हैं. वर्तमान सरकार व जिला प्रशासन इन दस्तावेजों को मानने से पूरी तरीके से इंकार कर रही है. फर्जी दस्तावेजों को तैयार कर हमें हमारे भवन से निकालने की साजिश रची गई. यह सरकार की सुनियोजित प्लानिंग है.
1948 में हुई थी सर्व सेवा संघ की स्थापना :साल 1948 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में सर्व सेवा संघ की स्थापना हुई थी. उसके बाद 1960 में यह जमीन ली गई. इसके बाद विनोबा भावे, जयप्रकाश नारायण, लाल बहादुर शास्त्री के निर्देशन में लगभग 62 साल पहले सर्व सेवा संघ के भवन की नींव रखी गई. इसका उद्देश्य महात्मा गांधी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाना और उनके आदर्शों को स्थापित करना था.
भवन पर लगा दिया गया था ताला :संघ के सदस्यों की मानें तो संघ की स्थापना से लेकर के 2007 तक यहां का वातावरण ठीक था. किसी भी तरीके की कोई समस्या नहीं थी. इस बीच रेलवे ने अपने प्रोजेक्ट के लिए जमीन की तलाश करनी शुरू कर दी. इस दौरान पुराने दस्तावेज मिले, जिस पर सर्व सेवा संघ की नींव रखी गई थी. इस जमीन पर रेलवे का मालिकाना हक बना. उसके बाद रेलवे की ओर से बकायदा इस जमीन पर निर्माण को अवैध बताया गया. यहां के भवन पर इसके बाद ताला लटका दिया गया. हमने इसको लेकर के जिला न्यायालय में न्याय की गुहार लगाई. उसके बाद कोर्ट ने एक संचालक मंडल बना दिया. बताया कि मंडल की ओर से फैसला लिया जाएगा कि भवन किसे मिलेगा. उसके बाद से अब तक यहां के भवनों में ताला लगा हुआ है. यहां पर प्रिंटिंग नहीं हो रही है. हमने कई बार निवेदन किया कि यहां लाइब्रेरी में रखी गई कई किताबें खराब हो रहीं हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
'सवाल जमीन का नहीं, 'सवाल गांधी की विरासत का' :राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ को ध्वस्त किया जा रहा है. कई एकड़ में फैले परिसर में कई मकान बने हुए हैं. इनमें रहने के लिए ऑफिस और कमरे बने हैं. उन्हें एक-एक करके गिराया जा रहा है. परिसर में पुलिस, प्रशासन और रेलवे के अधिकारी मौजूद हैं.सर्व सेवा संघ के लोग, राजघाट स्थित परिसर के पास पहुंचे, लेकिन किसी को अंदर नहीं जाने दिया गया. भवन को बचाने के लिए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समेत कई नेता आवाज उठा चुके हैं. सुबह करीब 8 बजे सर्व सेवा संघ पर पुलिस पहुंच गई. पूरे एरिया को घेर लिया गया. करीब 9 बजे यहां प्रशासन-पुलिस के अफसर भी पहुंच गए. बुलडोजर ने करीब 10 बजे ध्वस्तीकरण का काम शुरू किया. बीते 10 अगस्त को सर्व सेवा संघ के अधिग्रहण को लेकर एक जन प्रतिरोध सभा का आयोजन किया गया था. इस सभा मे किसान नेता राकेश टिकैत, स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव समते कई लोग मौजूद रहे. योगेंद्र यादव ने कहा था कि सर्व सेवा संघ की जमीन पर सरकार ने जिस तरह से कब्जा किया है, वह गैरकानूनी है, यहा सरकार की मंशा को जाहिर करता है. सवाल केवल जमीन का नहीं है, सवाल गांधी विरासत को नष्ट करने का है.
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