सिरसिला: तेलंगाना की सिरसिला सीट से मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव के बेटे के.टी.रामाराव चुनाव लड़ रहे हैं और इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाने वाले बुनकर समुदाय में व्याप्त असंतोष इस बार उनके लिए चुनौती खड़ी कर रहा है. तेलंगाना राज्य के गठन से पहले बुनकरों की आत्महत्या के कारण सुर्खियों में रहे सिरसिला विधानसभा क्षेत्र का बीते दस बरस तक भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने प्रतिनिधित्व किया है.
सिरसिला सीट से बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष एवं उद्योग मंत्री राव लगातार चौथी बार चुनाव लड़ रहे हैं. लगभग 2.43 लाख मतदाताओं वाली इस सीट में अधिकतर मतदाता ‘पद्मशालिस’ कहे जाने वाले बुनकर समुदाय के हैं। बुनकर बहुल इस सीट में किसी भी उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए इनका समर्थन महत्वपूर्ण है.
बुनकरों की आत्महत्या की घटनाएं तो रुक गई हैं, लेकिन ‘बथुकम्मा साड़ी’ योजना और समुदाय के सशक्तिकरण के लिए शुरू की गई अन्य विशेष योजनाओं के कार्यान्वयन को लेकर लोगों में असंतोष है। महंगाई के कारण जीवन यापन भी महंगा होता जा रहा है और लोगों की सरकार से मांग तथा उम्मीदें चुनाव दर चुनाव बढ़ती ही जा रही हैं.
कारीगर (पावरलूम) रामचंद्र रामपर ने न्यूज एजेंसी को बताया, 'बथुकम्मा साड़ी कार्यक्रम के तहत हमें केवल तीन महीने काम मिलता है और शेष नौ महीने हम बेरोजगार रहते हैं. महंगाई बढ़ गई है. हम किराया देने और जरूरत की चीजें खरीदने में असमर्थ हैं. हम उस पार्टी के लिए मतदान करेंगे जो हमारे लिए पूरे साल काम सुनिश्चित करेगी.'
बथुकम्मा साड़ी योजना-2017 में बुनकरों को समर्थन देने और महिलाओं को एक छोटा सा उपहार देने के दोहरे लक्ष्य के साथ शुरू की गई थी. योजना के तहत पावरलूम कार्यकर्ताओं को प्रतिदिन 12 घंटे के काम के लिए प्रति सप्ताह पांच हजार रुपये का भुगतान किया जाता है. जब कार्यक्रम शुरू किया गया था, तब छह महीने तक काम मिलता था और अब यह घटकर तीन महीने रह गया है.