नई दिल्ली :होलोकॉस्ट,1958 के नॉटिंग हिल दंगा और 1943 में बंगाल के अकाल समेत इतिहास की कुछ सबसे बड़ी त्रासदियों की पड़ताल करती एक नई किताब में लैंगिक असमानता, नस्ली उत्पीड़न, युद्धकालीन आघात और महिला मुक्ति जैसे कई विषयों को शामिल किया गया है.
द ग्रैंडडॉटर प्रोजेक्ट में भारतीय मूल की ब्रिटिश लेखिका शाहीन चिश्ती ने किताब में तीन अलग-अलग महिलाओं के अनुभव को बताया है.जो सामूहिक रूप से अपनी पोतियों के लिए सामाजिक दृष्टिकोण में सुधार को लेकर आवाज उठाती हैं.
इन महिलाओं के जीवन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले इनके इर्द गिर्द रहे पुरुष उन्हें विकट परिस्थितियों में डाल देते हैं. युवावस्था में अकेले ही वे अपने अनुभवों से सीखती हुई लड़ाई लड़ती हैं.
नरसंहार की एक घटना में जीवित बचीं हुई, हेल्गा ऑस्ट्रिया के एंशलस आने तक अपने परिवार के लिए किसी फरिश्ते के रूप में बड़ी हुई है.ऑशविट्ज में वह अपने परिवार से अलग हुईं. उन्होंने अकेले ही उन भयावहता का सामना किया और इजराइल में एक नया जीवन शुरू करने की कोशिश की है.
इसके विपरीत कमला एक गरीब किसान परिवार में पैदा हुई थीं और बंगाल में अकाल के दौरान पली-बढ़ी उनके शराबी पिता उनकी मां से दुर्व्यवहार करते थे. अकाल के दौरान परिवार बेघर और भुखमरी की स्थिति में पहुंच गया था. वह बच गईं और उन्हें एक महिला आश्रय में काम मिल गया था.