मुंबई :बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक (DGP) के पद पर किसी अधिकारी की स्थायी नियुक्ति के अनुरोध वाली याचिका पर आदेश जारी करने से पहले वह भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के वरिष्ठ अधिकारी और मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी संजय पांडेय का पक्ष सुनेगा. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपंकर दत्ता और जस्टिस एम एस कर्णिक की खंडपीठ ने यह बात कही.
इस सप्ताह की शुरुआत में पीठ ने मामले को समाप्त कर दिया था और कहा था कि पांडेय का पक्ष सुनने की कोई जरूरत नहीं है. हालांकि, बाद में अदालत के संज्ञान में यह बात आई कि याचिका में आईपीएस अधिकारी के खिलाफ सीधे आरोप (direct allegations against the IPS officer Pandey) लगाये गये हैं. अदालत ने कहा कि मामले में हमारे फैसले को पढ़ने के दौरान याचिका के कुछ तथ्य सामने आए जहां संजय पांडेय के खिलाफ सीधे-सीधे आरोप हैं. इसके मद्देनजर हम याचिका में प्रतिवादी के तौर पर संजय पांडेय को पक्ष बनाना (implead Sanjay Pandey as a party respondent) उचित और जरूरी समझते हैं. हम पहले उनका पक्ष सुनेंगे और फिर हमारा फैसला सुनाएंगे.
अदालत ने फैसले के लिए मामले को सुरक्षित रखने के अपने 25 जनवरी के आदेश को दोहराया. पीठ ने शुक्रवार को पांडेय को निर्देश दिया था कि याचिका पर चार फरवरी तक अपना हलफनामा दायर करें. पीठ ने मामले को अगली सुनवाई तक स्थगित करते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार और संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) भी चाहें तो हलफनामा दाखिल करें.